लंबे समय से जारी है खेल
सट्टा व्यवसाय क्षेत्र के लिए कोई नया कारोबार नहीं है, बल्कि दशकों से यह क्षेत्र में अपनी जड़े गहराई से जमा चुका है। जहां महिला पुरूष ही नहीं वरण बड़ी संख्या में नाबालिग भी इस कुचक्र में फंस कर खुद को बर्बाद कर चुके हैं। लेकिन हर रोज घाटे को पूरा करने के चक्कर मे अपनी मेहनत की कमाई को इनके सुपुर्द कर आते हैं।
हैरानी की बात यह कि लोग सट्टे के नम्बर को लेने के लिए अंधविश्वास में डूब कर लोग उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश तक साधु महात्माओं के गहन सम्पर्क में रहते हैं।
कानून में नहीं कड़ी सजा
जुआ सट्टा कानूनन अपराध तो है, पर जमानती है। जिसके चलते सटोरियों को पुलिस गिरफ्तार भी करती है, तो राजस्थान प्रिवेंशन ऑफ गैंबलिंग एक्ट में कुछ ही देर में थाना स्तर पर जमानत मिल जाती है और सटोरिया थाने से निकलते ही पुन: अपने धंधे में रम जाता है। कई बार तो पुलिस के दबाब में मासिक आंकड़े पूरे करने के लिए बड़े सटोरिये खुद ही छोटे खाईवालों को थाने भेजकर टारगेट पूरे करवा देते हैं। जहां सटोरियों पर 500 से 1500 तक के पर्चे दिखा कर पुलिस अपने टारगेट की इतिश्री कर लेती है।
आवश्यक है संगठित अपराध पर चोट
लोगों का मानना है कि पुलिस को छोटे सटोरियों से टारगेट पूरा करने की जगह बड़े गद्दी मालिकों को पकड़ कर उनपर संगठित अपराध की धाराओं में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जिससे ऐसे अपराधों पर लगाम लग सके।
तीन माह में ही 10 कार्रवाई
वहीं पुलिस भी कार्रवाई तो लगातार कर रही है, पर कानून लचर होने के कारण ये लोग छूटते ही पुन: इस गलीज धंधे में लग जाते है। थाना पुलिस के अनुसार इनके विरुद्ध जनवरी में 4, फरवरी में चार, मार्च में 2 कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन इनपर कोई लगाम नहीं लग सकी है।
इनका कहना है
जुआ-सट्टा का जहर अब नसों में घुलता जा रहा है। इस व्यवसाय के छोटे खिलाडिय़ों की जगह अब बड़े खिलाडिय़ों पर गंभीर धाराओं में नियमित कार्रवाई हो तो ही इस पर लगाम लग सकती है।
राजेश वर्मा, पूर्व पार्षद
जुआ सट्टा को कानून में संशोधन करके नॉन बेलेबल ओफेन्स बनाया जाना चाहिए। तभी इसके खिलाडिय़ों में डर पैदा होगा।जगन यादव, अध्यापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता यह गंभीर मामला है। सट्टा समाज में ऐसा रोग है, जो धीरे-धीरे परिवारो को खत्म कर देता है। नई पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। पुलिस के साथ शहर के जिम्मेदार नागरिकों को भी इस अपराध के विरुद्ध मोर्चा खोलना चाहि।विवेक अलपुरिया, व्यापारी
छोटी उम्र से लेकर बड़े उम्र तक के लोग इस खेल में शामिल हैं। पुलिस का अपराधियों में खौफ होना आवश्यक है। इस अपराध में समाज और प्रशासन को निष्पक्ष होकर इस पर अंकुश लगाना चाहिए।
टिंकू राज गोस्वामी, व्यापारी