चावल जितना पुराना हो उतना ही स्वादिष्ट होता है। चावल में प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व होते हैं। अगर रात के खाने में रोटी कम खाई जाए और चावल का प्रयोग ज्यादा किया जाए, तो यह हल्का भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। चावल के चिवड़े को दूध में भिगोकर खाने से कब्ज दूर होती है।
गेहूं औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके ज्वारे का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वजन कम होता है और एलर्जी संबंधी तकलीफ में भी लाभ होता है। गेहूं को अंकुरित करके भी खा सकते हैं। अंकुरित गेहूं आसानी से पच जाता है और कैलोरी ना होने की वजह से मोटापा भी नहीं बढ़ता।
इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जिससे कोलेस्ट्रोल घटता है। इसकी तासीर ठंडी होती है मधुमेह रोगियों के लिए जौ का आटा लाभदायक है। इससे शुगर नहीं बढ़ती। शरीर में चर्बी बढ़ जाने पर गेहूं व चावल छोड़कर जौ की रोटी के साथ छाछ पीएंं। जौ का सत्तू ठंडा, कब्ज मिटाने वाला और पित्त दूर करने वाला होता है। जौ का पानी पीने से पथरी के रोगियों को भी आराम मिलता है।
मूंग को अंकुरित करने के बाद इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
भुने चने के साथ गुड़ खाने से कफ की समस्या दूर होती है। रात को भुना चना खाने से खांसी ठीक होती है। इसमें आयरन होने से यह महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।
उड़द की दाल गर्मियों से ज्यादा सर्दियों में उपयोगी होती है। यह बवासीर के रोग में फायदेमंद होती है। इसमें आयरन काफी मात्रा में होता है जो कि खून की कमी को दूर करता है।
ऐसे खाएं: इसकी दाल, लड्डू या हलवा बनाकर खा सकते हैं।
मसूर की प्रकृति गर्म, शुष्क, रक्तवद्र्धक और खून में गाढ़ापन लाने वाली होती है। दस्त, कब्ज व अनियमित पाचन क्रिया में मसूर की दाल का सेवन लाभकारी होता है। दस्त होने पर मसूर की दाल खानी चाहिए। मसूर दाल की खिचड़ी भी बना कर खा सकते हैं। बवासीर के रोगियों के लिए मसूर की दाल गुणकारी है।