प्रमुख लक्षण
रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक होने से बार-बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, भूख लगना, वजन में कमी व शारीरिक कमजोरी आने लगती है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस रोग को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन यूनानी में जियाबितुस को व्यायाम, उचित आहार व प्राकृतिक औषधियों से नियंत्रित किया जाता है।
प्राकृतिक औषधियां
मगज-ए-तुख्मे जामुन : रक्त में शर्करा की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए जामुन की गुठलियों को सुखा लें और पाउडर के रूप में ५-१० ग्राम मात्रा पानी के साथ लें।
करेला : २०-४० एमएल करेले का रस सुबह व शाम पीना लाभदायक है। सब्जी व सूप के रूप में ले सकते हैं।
नीम : इसकी पत्तियों का २०-४० एमएल रस नियमित लेने से रक्त शुद्ध होता है और शर्करा की मात्रा नियंत्रित होती है। इसकी ताजा कोंपलों को पीसकर पानी में भिगो दें, सुबह के समय छानकर पीने से लाभ होता है।
बिनौला बीज : कपास के बीज एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो इस रोग में उपयोगी हैं। दो ग्राम कपास के बीजों को एक लीटर पानी में उबालें। इसकी 300 मिलीलीटर (एक चौथाई कप) मात्रा पिएं।
फालसा : इसे पानी में कुछ समय भिगोने के बाद छानकर दिन में दो बार ले सकते हैं। बेलपत्र, दाना मेथी, कलौंजी, कढ़ी पत्ता, गुड़मार बूटी, तबाशीर, आंवला, तेजपत्ता, सदाबहार, सरफूका, दालचीनी आदि औषधियों को विभिन्न रूप में लें।
दवा के रूप में
मरीज की स्थिति के अनुसार कैप्सूल के रूप में भी औषधियां देते हैं। कुछ रोगियों में हाई बीपी की समस्या भी रहती है जिसके लिए भी औषधियां दी जाती हैं। साथ ही कपिंग, जौंक लगाना (लीच थैरेपी), मालिश आदि रोग के इलाज में मददगार हैं।