दरअसल ज्यादातर लोग रक्तदान से संबंधित कई तरह की भ्रांतियों से घिरे होते हैं, जिससे वे रक्तदान से दूरी बनाए रखते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेशन से कैंसर व दूसरी बीमारियां होने की आशंका कम होती है। ब्लड डोनेशन के दौरान जितना ब्लड लिया जाता है, 21 दिनों में शरीर उसे फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम शरीर 24 से 72 घंटे मे पूरा कर लेता है। रक्तदान दिवस (१४ जून) के मौके पर यहां हम कुछ ऐसी ही भ्रांतियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
ब्लड डोनेशन से रोग प्रतिरोध क्षमता कमजोर होती है?
रोगप्रतिरोधक तंत्र पर रक्तदान का कोई असर नहीं होता है बल्कि लाल रक्त कोशिकाएं कुछ ही दिनों में सामान्य हो जाती हैं। हालांकि सफेद रक्त कोशिकाओं को सामान्य होने में कुछ सप्ताह लगते हैं। हालांकि जब शरीर को इनकी जरूरत होती है तो तत्काल इनका निर्माण भी हो जाता है।
ब्लड डोनेशन के बाद उल्टी- सिरदर्द होने लगते हैं?
अगर ब्लड डोनर का ब्लड प्रेशर सामान्य है तो ऐसी कोई समस्या नहीं हो सकती है। इसलिए रक्तदान से पहले ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की जांच जरूर करवानी चाहिए। डायबिटीज के पेशेंट जो इंसुलिन लेते हों उन्हें रक्तदान नहीं करना चाहिए। एसपिरिन, एंटीबायोटिक, एंटी-हाइपरटेंसिव, स्टेरॉयड्स, हॉर्मोन्स, इन्हेल्र्स आदि का नियमित सेवन करने वालों को भी रक्तदान नहीं करना चाहिए।
रक्तदान के बादआराम जरूरी है?
रक्तदान के बाद डेली रूटीन का कार्य आसानी से किया जा सकता है लेकिन ज्यादा तेज धूप में जाने से बचना चाहिए। रक्तदान के 2-3 घंटे बाद ही गाड़ी चलानी चाहिए। 10-12 ग्लास पानी और जूस पीना चाहिए।
नियमित ब्लड डोनेशन से मोटापा कम
रक्तदान से वजन पर असर नहीं पड़ता है। कुछ लोग ब्लड डोनेशन के बाद कमजोरी से बचने के लिए एक्सरसाइज से दूरी बनाने के साथ ही जरूरत से ज्यादा खाने लगते हैं। ऐसे में उनका वजन बढऩे लगता है लेकिन रक्तदान के साथ वेट बढऩे का कोई संबंध नहीं होता है। हैल्दी लाइफस्टाइल, नियमित एक्सरसाइज और विटामिन ए, बी युक्त बैलेंस्ड डाइट लेते रहने के साथ व्यक्ति यदि नियमित तौर पर रक्तदान करता रहे, तो उसकी स्ट्रेंथ में इजाफा होता है।
धूम्रपान करने वाले रक्तदान नहीं कर सकते?
रक्तदान से तीन घंटे पहले और बाद में धूम्रपान नहीं करें। अल्कोहल के सेवन में भी 24 घंटे का अंतराल रखें। रक्तदान के लिए 17 साल उम्र व वजन कम से कम 50 किलो होना जरूरी है।
महिलाएं रक्तदान ना करें?
महिलाओं में अक्सर हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है, जिनमें हीमोग्लोबिन की मात्रा अच्छी है वे रक्तदान कर सकती हैं। गर्भवती या स्तनपान कराने वाली, खून की कमी या अन्य बीमारी से ग्रस्त महिलाएं रक्तदान नहीं करें।
ऐसे बढ़ाएं हीमोग्लोबिन
हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन होता है जो शरीर में ऑक्सीजन का वहन करता है और रक्त को लाल रंग देता है। हीमोग्लोबिन का स्तर सभी व्यक्ति में अलग-अलग पाया जाता है। लेकिन एक निश्चित स्तर से हीमोग्लोबिन कम नहीं होना चाहिए। ऐसे में अपनी डाइट में आयरन युक्त चीजों को शामिल करना चाहिए। हरे पत्तेदार सब्जियां, सेरेल्स, दालें, पालक, चुकंदर, सेम की फली, टमाटर, गाजर, शकरकंद, ब्रोकली, मक्का, राजमा, आदि का सेवन करें।
ज्यादातर लोग रक्तदान को कमजोरी और बीमारी से जोड़ते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह फिटनेस की निशानी है। रक्तदान से न सिर्फ नई लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है, बल्कि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को भी बाहर निकालता है। यकीन मानिए रक्तदान आपको फिट बना सकता है।
ब्लड डोनेशन से पहले ध्यान रखें
तीन महीने बाद ही दोबारा ब्लड डोनेशन करना चाहिए। इस दौरान रक्त कोशिकाओं का पुन: निर्माण हो जाता है। साल में चार बार से ज्यादा ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए।
18 से 65 वर्ष की आयु और 45 किग्रा से ज्यादा वजन होने पर रक्तदान कर सकते हैं। साथ ही हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 मिग्रा से ज्यादा होनी चाहिए।
ब्लड डोनेशन के बाद भरपूर मात्रा में पानी या तरल पदार्थ का सेवन करें। इससे डीहाइड्रेशन नहीं होता। कोल्ड ड्रिंक्स या एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन करने से बचें।
आयरन युक्त डाइट के साथ ही विटामिन सी और कैल्शियम का सेवन करें। डोनेशन के बाद फोलिक एसिड, विटामिन बी6 और बी2 युक्त डाइट जरूर लें। इससे हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
ब्लड डोनेशन से पहले कुछ हल्का खाएं। साथ ही अल्कोहॉल और धूम्रपान से दूरी बनाएं।
ब्लड डोनेशन के बाद किसी तरह की एक्सरसाइज या ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी न करें। शारीरिक और मानसिक तौर पर ज्यादा तनाव न लें।