हृदय रोग: कई अध्ययनों में पाया गया कि गुस्सा कोरोनरी हृदय रोगों की आशंका बढ़ाता है। ऐसे में सामान्य व्यक्ति व खासतौर पर कोरोनरी हृदय रोग के मरीजों को इस आदत से बचना चाहिए।
घाव: गुस्से के कारण शरीर में घाव भरने की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार सर्जरी के बाद गुस्सा नहीं करना चाहिए।
हाई ब्लड प्रेशर: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक गुस्सा छिपाने व दबाने वाले अक्सर हाई बीपी के मरीज हो जाते हैं।
फेफड़े: एक शोध के मुताबिक अक्सर गुस्सा करने वाले जोर-जोर से सांस लेेते हैं या हांफने लगते हैं व उनके नथुने फूल जाते हैं जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में उनके फेफड़ों के काम करने की क्षमता घट जाती है।
डायबिटीज: छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने वालों में टाइप-टू डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है।
सिरदर्द: गुस्सा मस्तिष्क के कोर्टीसोल हार्मोन को प्रभावित करता है। इससे दिमाग को ऑक्सीजन सही से नहीं मिलती और सिरदर्द होने लगता है।
त्वचा संबंधी रोग: गुस्से से तनाव बढ़ता है सोरायसिस, एग्जिमा जैसे त्वचा रोगों का एक कारण मानसिक तनाव और अत्यधिक थकान भी है।
आपसी संबंध: अधिक गुस्से या कुंठित होने की स्थिति व्यक्तिके प्रोफेशनल व पारिवारिक रिश्तों को प्रभावित करती है।
अवसाद-चिंता
गुस्से को अंदर दबाने से शरीर में तनाव व नकारात्मकता पनपती है जो भविष्य में अवसाद या चिंता का कारण बन सकती है।