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खानपान में लापरवाही से होती है पित्त में पथरी

locationजयपुरPublished: Feb 11, 2018 04:50:20 am

पित्त की थेली (गॉल ब्लेडर) में पथरी के मामलों में उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा मरीज पाए जाते हैं। इसका मुख्य कारण खान-पान में ध्यान नहीं रखना है।

पित्त में पथरी

पित्त की थेली (गॉल ब्लेडर) में पथरी के मामलों में उत्तरी भारत में सबसे ज्यादा मरीज पाए जाते हैं। इसका मुख्य कारण खान-पान में ध्यान नहीं रखना है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार समय पर खाना नहीं खाना भी इस बीमारी का एक कारण है।

 

पित्त की थैली में पथरी (गॉल ब्लैडर स्टोन) का होना एक आम स्वास्थ्य समस्या है। पित्त की थैली पेट के दाएं ऊपरी भाग में लिवर के ऊपर चिपकी होती है। इसमें लिवर से बनने वाले एंजाइम संचित होते हैं। पित्ताशय की थेली का कैंसर भी बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। यह चरणबद्ध तरीके से होता है। इसे आसानी से पकड़ पाना मुश्किल होता है। जिन लोगों के यह होता है उन्हें लगातार उल्टी होती है और भूख कम लगती है।

 

मुख्य कारण
समय पर खाना न खाने से थैली लंबे समय तक भरी रहती है और पाचक रस का पित्त की थैली में जमाव शुरू हो जाता है, जो धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेता है।


इंफेक्शन की वजह से पाचक रस गाढ़ा हो जाता है और कालांतर में पथरी का रूप ले लेते है।

पित्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होने से मोटापे से ग्रस्त होने वाली महिलाओं में पित्त की पथरी होने की आशंका अधिक होती है।

 

मुख्य लक्षण
इस रोग के प्रमुख लक्षण पेट में जलन और गैस बनना, भूख कम लगना, खून की कमी और पेट में लगातार दर्द होना शामिल है।

जटिलताएं
पित्त की थेली में पथरी के शिकार लोगों को कई बार गंभीर जटिलताओं का भी सामना करना पड़ता है। पित्त की थैली के रास्ते में जब पथरियां आकर फंस जाती हैं तो थैली में संक्रमण हो जाता है और व्यक्ति के पेट में तेज दर्द होता है। इसके अलावा पीलिया व पेन्क्रियाटाइटिस आदि समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

 

सर्जरी के दो तरीके

ओपन कोलेसिस्टेक्टॉमी
इस तकनीक में पेट के दाएं ऊपरी भाग पर दो से पांच इंच का चीरा लगाकर पेट को खोला जाता है और पित्त की थैली निकाल देते हैं।

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी (दूरबीन से ऑपरेशन)
यह विधि आजकल पित्त की थैली के ऑपरेशन के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित व सफल विधि है।

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