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डाइट फिटनेस

इन चीजों के सेवन से नहीं लगेगा आंखों पर कभी चश्मा

आंखों का युवावस्था
से ही खयाल रखा जाए तो बढ़ती उम्र में इनकी रोशनी कम होने की आशंका काफी हद तक
कम की जा सकती है

Sep 02, 2015 / 03:18 pm

दिव्या सिंघल

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आंखों का युवावस्था से ही खयाल रखा जाए तो बढ़ती उम्र के साथ इनकी रोशनी कम होने की आशंका काफी हद तक कम की जा सकती है। इसके लिए नियमित साफ-सफाई, आंखों की एक्सरसाइज और कुछ खास प्रकार के खानपान का ध्यान रखना जरूरी होता है।

नारंगी रंग के खाद्य पदार्थ
सभी नारंगी रंग के फलों और सब्जियों में बीटा कैरोटीन होता है। यह रंग प्रकाश ऊर्जा को आंखों में एब्जॉर्ब करने में मददगार होता है जिससे बढ़ती उम्र में आंखों की रोशनी प्रभावित नहीं होती।

ऎसे प्रयोग करें
रोजाना एक गाजर, एक शकरकंद या कद्दू का सेवन करना फायदेमंद होता है।

विटामिन-ई
टोफू, पालक और बादाम जैसी विटामिन-ई से भरपूर चीजें आंखों को फ्री रैडिकल (वे रसायन जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं) बचाती हैं। इससे मोतियाबिंद का खतरा घटता है।
ऎसे प्रयोग करें : रोजाना 4-5 बादाम भिगोकर खाएं। पालक व टोफू की सब्जी डाइट में शामिल करें।

विटामिन-सी
इससे भरपूर संतरे से मोतियाबिंद के खतरे को कम किया जा सकता है।
ऎसे प्रयोग करें: रोजाना एक संतरा खाएं।

लाल रंग की चीजें
अनार, चुकंदर, लाल अंगूर, ब्लू बेरीज, चेरी और रेड कैबेज आदि फल व सब्जियों में एंथोसायानिन नामक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इनका नियमित सेवन करने से आंखों में रक्त प्रवाह दुरूस्त होता है और रोशनी बनी रहती है।

ऎसे प्रयोग करें
फल व सब्जी के रूप में डाइट में शामिल करें।

हरे रंग में छिपी सेहत
पालक, ब्रोकली या दूसरी हरी पत्तेदार सब्जियों में जीक्सान्थिन और ल्यूटीन नामक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये सूर्य की रोशनी से आंखों को पहुंचने वाली क्षति, मोतियाबिंद व मैकुलर डिजनरेशन (बढ़ती उम्र का प्रभाव) से रक्षा करते हैं।

ऎसे प्रयोग करें
रोजाना एक कटोरी हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं। इन्हें सलाद या सूप के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।

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