मिथ – गर्भवती को दो के लिए खाना चाहिए
आमतौर पर प्रेग्नेंट महिला को बताया जाता है कि चूंकि उसके पेट में एक और जीव पल रहा है, इसलिए उसे दो लोगों के लिए अधिक मात्रा में भोजन करना चाहिए।
सत्य-
अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स सही है, तो पहली तिमाही में एक्स्ट्रा कैलोरी लेने की जरूरत नहीं है। दूसरी तिमाही में 300-340 कैलोरी अतिरिक्त लेनी चाहिए, जो दो गिलास दूध से मिल सकती है। तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 450 कैलोरी अतिरिक्त लेनी चाहिए। अगर बच्चे जुड़वां हो तो इसके अतिरिक्त 300 कैलोरी लेनी चाहिए।
स्मार्ट तरीका
न्यूट्रीशनिस्ट प्रिया कठपाल के अनुसार अतिरिक्त कैलोरीज फैट में तब्दील हो जाती हैं, इससे सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। बेहतर होगा कि आप न्यूट्रीशन पर ज्यादा जोर दें। भरपूर खाने के बदले कैल्शियम समृद्ध फूड लें। साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और लेग्यूम लें। आपका वेट गेन हैल्दी होगा तो भ्रूण को पोषण देगा। इसके लिए किसी न्यूट्रीशनिस्ट से सलाह लें तो आपकी हाइट, एज और प्री-प्रेग्नेंसी वेट के आधार पर डाइट बताएगी।
मिथ – प्रेग्नेंसी में जितना मर्जी उतना खाइए
अक्सर मां या सास अपनी बेटी या बहू को ज्यादा से ज्यादा खाने और शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखने की सलाह देती हैं।
सत्य
प्रेग्नेंसी के दौरान ओवरईटिंग से मोटापे की समस्या हो सकती है, जो मां और शिशु के लिए कई सेहत समस्याओं का सबब बन सकती है। इससे जेस्टेशनल डायबिटीज भी हो सकता है। इस स्थिति से स्टिलबर्थ (मृत शिशु के जन्म) मिसकैरेज की समस्या भी हो सकती है। रिसर्च से पता चला है कि ओवरवेट, ओबीज या डायबिटिक मां के बच्चे कई बार फेफड़ों की समस्या से पीडि़त पैदा होते हैं। इतना ही नहीं ज्यादा वेट गेन से प्री इक्लेंपसिया और प्री मैच्योर बेबी की समस्या भी हो सकती है। मां की ओवरईटिंग से बच्चे को भी मोटापे और आगे चलकर अस्थमा और डायबिटीज की समस्या हो सकती है।
स्मार्ट तरीका
फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. अंकिता कौशल कहती हैं, ‘कभी भी फोस्र्ड ओवरइटिंग न करें। ज्यादा घी तेल से बने लड्डू व अन्य पकवान भी न खाएं। नुकसानदायक सैचुरेटेड फैट, चीनी भरे व्यंजन आदि न खाकर पौष्टिक व सुपाच्य आहार लें। फल खाएं, कच्ची सब्जियों का सलाद खाएं व वेजीटेबल सूप या ताजा जूस पीएं।