नई दिल्ली। मछली के तेल का इस्तेमाल प्रौढ़ावस्था में वजन बढने के खतरे को कम करता है। जापान में क्योटो विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ अग्रिकल्चर के प्रोफेसर तेरुओ क्वादा के नेतृत्व में हुए शोध में अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि मछली का तेल पाचन तंत्र ,अनुकंपी तंत्रिका तंत्र में अभिग्राहक नली को सक्रिय करता है जिससे वसा कम होता है जिससे वजन बढने का खतरा कम हो जाता है।
वसा उत्तक वसा जमा नहीं करते हैं।सफेद कोशिकाएं शरीर की ऊर्जा आपूर्ति को बनाए रखती हैं जबकि ब्राउन कोशिकाएं शरीर के तापमान को स्थिर करने मेें मदद करती हैं। ब्राउन कोशिकाएं शिशुओं में प्रचुर मात्रा में मौजूद होती हैं लेकिन वयस्क होने पर इसकी संख्या में कमी आने लगाती है। मनुष्यों और चूहों में एक तीसरे प्रकार की कोशिका का पता लगाया गया है जिसका नाम बेज कोशिका है जो ब्राउन कोशिका की तरह ही कार्य करता है।
बेज कोशिका प्रौढ़ावस्था में धीरे-धीरे कम होने लगती है। यह कोशिका बिना इस्तेमाल के लंबे समय से संग्रह होती रहती हैं। वैज्ञानिकों ने परीक्षण कर पता लगाया है कि कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ से इसे बढ़ाया जा सकता है। परीक्षण के एक वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता तेरुओ कवाडा ने कहा हमें पहले अनुसंधान से पता चला था कि मछली का तेल वसा को जमा होने से रोकता है और स्वास्थ्य के लिये काफी फायदेमंद होता है।
कवाडा ने कहा हमने मछली के तेल और बेज कोशिकाओं में वृद्धि संबंधों का परीक्षण किया। हमने चूहों के एक समूह को वसा युक्त खाना और एक दूसरे समूह को मछली के तेल के साथ वसा युक्त खाना खिलाया। उन्होंने कहा कि जिन चूहों को मछली के तेल के साथ खाना खिलाया गया था उनका वजन सिर्फ वसा युक्त खाना खाने वाले चूहों की तुलना में पांच से दस फीसदी तक कम बढा और उनमें वसा का संचयन 15 से 25 फीसदी तक कम हुआ।