ब: असहमत
2. मैं तो बचपन से ही ‘स्वीट टूथ’ हूं और मिठाई मेेरी मजबूरी व कमजोरी बन चुकी है।
अ: सहमत
ब: असहमत
3. मैं कम मीठा खाता/खाती हूं लेकिन कोई ज्यादा ही मनुहार करे तो खाना ही पड़ता है।
अ: सहमत
ब: असहमत
4. मैं सिर्फ अच्छी मिठाई खाता/खाती हूं लेकिन चॉकलेट देखकर मन बच्चा बन जाता है।
अ: सहमत
ब: असहमत
5. मुझे ज्यादा मीठा खाने के खतरे पता हैं लेकिन क्या करूं मिठाई मेरे लिए आकर्षण है।
अ: सहमत
ब: असहमत
6. मीठा खाना हमारी संस्कृति व रीति-रिवाजों का हिस्सा है, इससे कैसे बचा जा सकता है।
अ: सहमत
ब: असहमत
7. हमारे घर में खाने के बाद मीठा न हो तो बड़ा हंगामा हो जाता है।
अ: सहमत
ब: असहमत
8. मैं कैलोरी की मात्रा देखकर मीठा नहीं खा सकता/सकती, आखिर ये दिल की पसंद का मामला है। इसमें कंजूसी किस बात की।
अ: सहमत
ब: असहमत
9. ऐसा लगता है कि बहुत ज्यादा मीठा खाना मुझे कमजोर और बीमार कर रहा है। मुझे सचेत होने की जरूरत है।
अ: सहमत
ब: असहमत
स्कोर और एनालिसिस –
‘मिठाई’ कड़वी लगने लगेगी
यदि आप 7 या उससे ज्यादा सवालों से सहमत हैं तो आप मीठा खाने के लिए अच्छी सेहत के सारे नियमों को तोड़ रहे हैं। यदि आपने मीठा खाने की अति पर लगाम नहीं लगाई तो संभव है कि आपको आगे कड़वी दवाओं से गुजारा करना पड़े। स्वाद के लालच में अपने शरीर को मीठा खाकर नष्ट न करें।
मिठाई और मीठी लगेगी
यदि आप 7 या उससे ज्यादा सवालों से असहमत हैं तो यकीनन आपने अपने ‘स्वीट टूथ’ पर नकेल कस रखी है। आपने अब तक अपनी इस लत पर काबू किया है तभी आपका शरीर साथ दे रहा है। इस आदत को बनाएं रखें और शक्कर की मिठास की बजाय मन की मिठास को बढ़ाते रहिए। अच्छी सेहत और खुशहाल जिंदगी आपका साथ देगी।