इसके अलावा एंटीबॉडीज बनाने के लिए भी हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को प्रोटीन की ही जरूरत होती है। हमारा शरीर दो तरह के प्रोटीन का निर्माण करता है, एक होता है स्पेशलाइज्ड प्रोटीन जो शरीर को बाहरी तत्व से लडऩे में मदद करते हैं और दूसरा होता है ट्रांसपोर्ट प्रोटीन जो हमारे शरीर में घूमते रहते हैं।
जैसे हीमोग्लोबिन, जो ऑक्सीजन को हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम करता है। इसके अलावा स्पेशलाइज्ड प्रोटीन विटामिन और मिनरल्स को उन कोशिकाओं तक पहुंचाती है जिन्हें उनकी जरूरत होती है। इतना अहम तत्व होने के बाद भी सिर्फ 25 फीसदी लोग ही प्रोटीन की जरूरत पर ध्यान देते हैं। इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो में हुई एक रिसर्च के अनुसार 10 में से 9 लोगों में प्रोटीन की कमी है।
रोजाना प्रोटीन का सेवन जरूरी
प्रत्येक व्यक्ति का साइज और शरीर का कम्पोजिशन अलग-अलग होता है और इसके अनुसार ही हर व्यक्ति को प्रोटीन की मात्रा की जरूरत होती है। बॉडी मास इंडेक्स के अनुसार रोजाना प्रति किलोग्राम के अनुसार .8 से लेकर एक ग्राम तक प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन की जरूरत वजन और कैलोरी इनटेक पर निर्भर करती है। कैलोरी का 20 से 35 प्रतिशत प्रोटीन से आना चाहिए। हम रोजाना 2000 कैलोरी का सेवन करते हैं तो उसमें से 600 कैलोरी प्रोटीन से मिलना चाहिए।
हर कोशिका को चाहिए प्रोटीन
पर्याप्त प्रोटीन नहीं लेने से हीमोग्लोबिन कम होने के साथ ही शरीर का लचीलापन भी कम होने लगता है। सही मात्रा में प्रोटीन न लेने पर बाल और नाखूनों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इम्यूनिटी कम होने पर बीमार होने के अलावा शरीर में दर्द भी बना रहता है। शरीर के ऊत्तकों की मरम्मत और उनकी रक्षा करने से लेकर गर्भावस्था में भू्रण के विकास तक में प्रोटीन जरूरी होता है। स्त्रियों में दूध निर्माण के लिए भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
इनके निर्माण के लिए भी चाहिए प्रोटीन
इन्सुलिन और थाइरॉक्सिन
प्लाज्मा प्रोटीन
एंटीबॉडीज
हीमोग्लोबिन
टिप्सिन और पेप्सिन एन्जाइम
किरेटिन
प्रोटीन की कमी बताते हैं जो संकेत
बार-बार एलर्जी, इन्फ्लूएंजा वायरस या अन्य रोग होना।
हड्डियों का कमजोर होना। प्रोटीन की कमी से शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में बाधा पैदा होने लगती है जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।
जरूरत से ज्यादा मीठा खाने का मन करना। प्रोटीन की कमी से इंसुलिन बढ़ता है जिससे मीठा खाने का मन करता है। बालों का बेजान और रूखा होना।
घाव या चोट को ठीक होने में ज्यादा समय लगना क्योंकि नए टिश्यू को बनाने के लिए ज्यादा प्रोटीन की जरूरत होती है। मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द रहना
नींद नहीं आना। सेरोटोनिन दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है जो नींद के लिए जिम्मेदार होता हैै। यह अमीनो एसिड से बनता है। ऐसे में प्रोटीन की कमी सेरोटोनिन के निर्माण को प्रभावित करता है जिसका असर नींद पर पड़ता है।
इन्हें खाएंगे तो मिलेगा प्रोटीन
प्लान्ट और एनिमल फूड प्रोटीन प्राप्त करने के दो अहम स्रोत होते हैं। हालांकि प्लान्ट फूड में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन के साथ ही फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट भी होते हैं जो एनिमल फूड से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा प्लान्ट फूड कॉलेस्ट्रॉल फ्री और फैट में कम होते हैं। वेजिटेरियन न होने पर प्लान्ट और एनिमल फूड का संतुलित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
फल
अमरूद, शहतूत, जामुन, अनार, अंगूर जैसे फलों के अलावा सूखे मेवा जैसे किशमिश, अखरोट, काजू आदि भी प्रोटीन के अहम स्रोत होते हैं।
नट्स
बादाम, पिस्ता, मूंगफली, अखरोट आदि भी प्रोटीन के साथ सोडियम और पोटैशियम का स्रोत होते हैं।
सब्जियां
बीन्स, मटर, ब्रोकली, मशरूम आदि।
साबुत अनाज और दालें
शाकाहारियों को रोजाना 45 ग्राम मेवे और दो तिहाई कप फलियों की आवश्यकता होती है।
दूध
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है साथ ही इसमें कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
सीड्स
सनफ्लावर के बीज को प्रोटीन का पावरहाउस माना जाता है। प्रति 100 कैलोरी में 3.3 ग्राम प्रोटीन होता है। इसी तरह तिल भी प्रोटीन का अहम स्रोत है।
किनोआ
सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड को मिलाकर यह एक प्रोटीन का स्रोत होता है। इसमें पोटेशियम और आयरन भी होता है। इसके पत्ते को सलाद में खाया जा सकता है। लाल, सफेद और काले के किनोआ भी लाभकारी होते हैं।
अनाज
रागी, गेहूं, बाजरा, ओट्स से भी पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन प्राप्त किया जा सकता है।