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स्वस्थ शरीर पाने के लिए बनाएं कुछ खास नियम

locationजयपुरPublished: Jun 29, 2018 04:50:58 am

दैनिक जीवन उठने-बैठने के सही ढंग, आहार, आराम, ध्यान और विवेक की क्रियाओं पर आधारित होता है।

स्वस्थ शरीर पाने के लिए बनाएं कुछ खास नियम

स्वस्थ शरीर पाने के लिए बनाएं कुछ खास नियम

दैनिक जीवन उठने-बैठने के सही ढंग, आहार, आराम, ध्यान और विवेक की क्रियाओं पर आधारित होता है। इस आधार और स्रोत से यदि आप प्रार्थना नहीं करते या प्रेरणा नहीं लेते तो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का असंतुलन पैदा हो सकता है। आहार के माध्यम से भी सही मानवीय जीवन बिताया जा सकता है। आहार का विचार खासतौर पर अनुभव के आधार पर, भोजन के विज्ञान के आधार पर और अनुभव व सिद्धांत के मिश्रण के आधार पर तीन भागों विभाजित किया गया है।

अनुभव के आधार पर
भोजन में शाकाहारी, मांसाहारी, कच्चा भोजन करने वाले, पका हुआ भोजन करने वाले, क्षारीय भोजन करने वाले, बहुत ज्यादा पानी पीने वाले, बहुत कम पानी पीने वाले, वो जो बहुत ज्यादा नमक खाते हैं, वो जो बहुत कम नमक खाते हैं और अन्य कई तरह के विचार हैं। इनमें से जो लोग दैनिक जीवन में पहली विधि से जीवन जीते हैं, उनमें से कोई भी आदर्श स्वास्थ्य प्राप्त नहीं कर पाता है। इनमें से ज्यादातर लोग अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर दूसरों को भी अपनी बात मानने के लिए बाध्य करते हैं।

विज्ञान के आधार पर
दूसरे तरीके के बारे में भी कई तरह के विचार हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर पशुओं पर हुए प्रयोगों पर आधारित है। इसमें पोषण से ज्यादा कैलोरी की चिंता है यानी इसमें शोधकर्ताओं की मुख्य रुचि भोजन में है, जैसे कि एक पशु के लिए आदर्श भोजन पर शोध करना हो। इस विधि को अपनाने वालों का खुद का अनुभव कम होता है। इसलिए इनमें से कई बीमार हो जाते हैं, जैसे अमरीकी या यूरोपियन के लोग। जंगली जानवर और आदिकालीन मानव ज्यादातर स्वस्थ थे, हालांकि उनके पालतू जानवरों का स्वास्थ्य कमजोर था। यह अंतर कहां से आया? वैज्ञानिक अध्ययन अच्छा है, लेकिन किसी सिद्धांत पर अंधविश्वास कहां तक सही है?


दोनों के आधार पर अनुभव और सिद्धांत के मिश्रण का तीसरा तरीका भी मुश्किल है। सिर्फ वैज्ञानिक तरीके और अनुभव से सीखना भी मुश्किल है क्योंकि जो चीज किसी एक के लिए सही है, वह जरूरी नहीं दूसरे के लिए भी सही हो। सवाल उठता है फिर बिल्कुल सही पोषण क्या है?

जानवर जानते हैं कितना खाना है
जानवरों को तो प्राकृतिक भूख लगती है, वे शरीर की भोजन की मांग का पूरा ध्यान रखते हंै, लेकिन जरूरत से कम खाते हंै। जानवरों को जब लगता है कि पेट या शरीर में कुछ गड़बड़ है तो वे उपवास कर जाते हैं। यहां तक कि ***** जो बहुत ज्यादा खाने वाले जानवर लगते हैं, वे भी पेट को पूरा नहीं भरते। जबकि मानव यदि स्वस्थ नहीं है तो भी खाने की सोचता है और ज्यादा खा जाता है। जबकि आप इसका उलट करें और कम खाएं या नहीं खाएं तो आपके शरीर के अंग जल्द ही सामान्य स्थिति में आ जाएंगे। शरीर अपनी जरूरत से ज्यादा मांग नहीं करता और इसीलिए इसे जरूरत से ज्यादा दिया जाए तो वह उसे स्वीकार भी नहीं करता।

अपच होने पर शरीर देता है संकेत
ऐसा नहीं कि भूख नहीं होने पर शरीर हमें बताता नहीं है, शरीर हमें संकेत देता है। हम मानते हैं कि पोषण पर्याप्त है, आपूर्ति में असंतुलन होने के कारण आहार में सही तत्वों की अधिकता या कमी होना, खराब स्थितियां, भावनात्मक परेशानियां, भोजन के कारण होने वाली थकान, किडनी और आंतों का ठीक से काम नहीं करना, रक्त का साफ नहीं होना या इसमेंं टॉक्सिन्स होना, इनके अलावा यदि उबकाई या मितली आ रही है तो मानना चाहिए कि अब शरीर से टॉक्सिन निकालने का समय आ गया है। भूख नहीं लगने का एक कारण विटामिन ए और बी2 की कमी भी हो सकता है। यदि आप खाना चाहते हैं और खा नहीं पा रहे तो मान लीजिए कि आप मेहनत कम कर रहे हैं, शरीर में ऊर्जा व पानी की कमी हो गई है। आपके हार्मोन सिस्टम में भी गड़बड़ी हो सकती है।

पेट साफ तो मन स्वस्थ
जब पाचन या ग्रहण करने की क्षमता सही हो, लेकिन इसे निष्प्रभावी करने की क्षमता कम हो तो बवासीर, पेट में जलन, अल्सर जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। जिस तरह से हर आदमी का अपना व्यक्तित्व होता है, उसी तरह हर बैक्टीरिया का अपना व्यक्तित्व होता है। ऐसे में उन्हें उपयुक्त वातावरण या मानव शरीर में उनके लिए उपयुक्त भोजन नहीं मिले तो वे जिंदा नहीं रह सकते। यदि आप आनंद से खा पा रहे हैं, गहरी नींद ले पा रहे और आपका पेट बिल्कुल साफ हो रहा है तो मान लीजिए आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और अपनी ताकत बढ़ा सकते हैं ।

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