भूख बढ़ाता है : जिन लोगों को भूख नहीं लगती उन्हें बथुए की सब्जी खानी चाहिए। पेट के कीड़े : बथुए के रस में नमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
कुपोषण : इसके नियमित सेवन से कुपोषण भी नहीं होता। पेशाब में दिक्कत: बथुए के रस में मिश्री मिलाकर खाने से पेशाब की रूकावट दूर होती है। रतौंधी : इसमें विटामिन ए बहुत होता है इसलिए यह आंखों और रतौंधी के लोगों को फायदा करता है।
कब्ज: बथुए का नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती। टीबी: टीबी की खांसी में इसको बादाम के तेल में पकाकर खाने से लाभ होता है। दिल मजबूत: लाल बथुआ हृदय को बल देने वाला, फोड़े-फुंसी, मिटाकर खून साफ करने में भी मददगार है।
पित्त प्रकोप: तिल्ली की बीमारी और पित्त के प्रकोप में इसका साग खाना उपयोगी है। पीलिया में लाभः अरुचि, अर्जीण, भूख की कमी, कब्ज, लिवर की बीमारी पीलिया में इसका साग खाना बहुत लाभकारी है।
दुर्बलता: सामान्य दुर्बलता बुखार के बाद की अरुचि और कमजोरी में इसका साग खाना हितकारी है।