फिटनेस एक्सपर्ट अली मिर्जा कहते हैं, ‘क्रॉलिंग एक्सरसाइज से मल्टी ज्वाइंट मूवमेंट होते हैं और कंधों की मसल्स की एक्सरसाइज हो जाती है। इससे आपके शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से के बीच समन्वय भी सही होता है।
ऐसे शुरु हुआ क्रेज
साल भर पहले चीन के झेंगझू इलाके में स्थानीय बाशिंदों को सुबह पार्कों में ग्लव्स पहनकर हाथों और पैरों के बल पर चलते देखा गया। यह फिट नेस ट्रेंड जल्दी पॉपु लर हो गया क्योंकि बहुत से लोगों का मानना था कि यह प्रैक्टिस प्राचीन चीन के सेहत विशेषज्ञ भी अपनाने को कहते थे।
सावधानी
डॉ. अनिल पाटिल कहते हैं, कुछ खास क्रॉलिंग एक्सर साइज में आपके शरीर का पूरा वजन घुटनों और हाथों पर पडऩे लगता है, इससे ज्वाइंट्स में दर्द हो सकता है। इसलिए इसे बुजुर्गों और घुटनों की सम स्या से ग्रस्त लोगों को नहीं करना चाहिए। साथ ही बेबी क्रॉल करते वक्त घुटनों के पैड लगा लेने चाहिए। किसी को कलाई, कंधे या गर्दन की समस्या हो तो उसे भी इससे बचना चाहिए। फिटनेस एक्स पर्ट की सलाह लेना जरुरी है।
तरह-तरह के क्रॉल
बेबी क्रॉल : बच्चों की तरह घुटने के बल चलना
बियर क्रॉल : भालू की मुद्रा में चलना।
आर्मी क्रॉल : जैसे सैनिक कुहनियों और फोर आम्र्स के बल रेंग कर आगे बढ़ते हैं।
इंचवर्म क्रॉल : केंचुए की तरह सिर के बल धीरे-धीरे आगे बढऩा।
क्रेब क्रॉल : केंकडे की तरह आगे बढऩा।
स्पाइडरमैन क्रॉल : छिपकली की तरह।