इनका समाधान योग में छिपा है। विशेषज्ञों के मुताबिक योग से अधिकतर बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। कई बार जानकारी के अभाव में किए गए गलत तरीके से योग के अच्छे परिणाम सामने नहीं आ पाते। ऐसे में वे इससे दूरी बनाने लगते हैं। लेकिन योग विशेषज्ञों के अनुसार सही तरीके से नियमित किया गया योग हमेशा सकारात्मक असर दिखाता है। जानते हैं कि योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में-
२१ जून २०१५ को योग को बढ़ावा देने के लिए पहली बार विश्व योग दिवस मनाया गया। जिसमें १९१ देशों ने भाग लिया था।
२० वीं शताब्दी में मैसूर (कर्नाटक) तिरुमलई कृष्णमाचार्य ने मॉडर्न योग की शुरुआत की थी।
३-५ दिन में सही मुद्राओं के साथ योग करने से शरीर पर दिखने लगता है असर।
गिनीज रिकॉर्ड में शामिल योग विशेषज्ञ
१. योगराज सीपी :
हॉन्ग-कॉन्ग में रहने वाले योगराज भारतीय ने २०१५ में लगातार ४० घंटे में डेढ़ हजार से ज्यादा आसन करने का गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड अपने नाम किया है। योगीराज ने ५ वर्ष की उम्र से योग करना और १२ वर्ष में सिखाना शुरू कर दिया था।
आज की तनावभरी जिंदगी में योग इतना जरूरी है जितना रोजाना नहाना और ब्रश करना। यह हमें फिट रखता है।
२. ताओ पॉरचोन लिंच :
न्यूयॉर्क (अमरीका) की रहने वाली ९८ वर्षीय ताओ के नाम सबसे बुजुर्ग योग टीचर का गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड (२०१२) है। इन्होंने ८ वर्ष की उम्र में योग करना शुरू किया था। ताओ फैशन मॉडल भी रह चुकी हैं।
योग तन-मन और आत्मा को जोड़ता है। यह कुदरत की तरह है। जिसके पास हर दर्द का समाधान है।
हार्मोन रिलीज कर असर दिखाता योग
योग मानसिक-शारीरिक संतुलन बनाकर आंतरिक व बाहरी रोगों को दूर करता है। पूरे शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू करने में यह सहायक है। जानते हैं कि योग कैसे असर करता है-
हार्मोनल संतुलन: हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्र अलग-अलग हार्मोन रिलीज करते हैं। योग करने के दौरान हर चक्र का शुद्धिकरण होने से संबंधित अंग से जुड़े रोग दूर होते हैं। थायरॉइड, पीयूष, मेलाटॉनिन जैसे प्रमुख हार्मोन के स्त्रावण से शारीरिक क्रियाएं सही होती हैं।
मांसपेशी: विशेषकर कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों, जोड़ व स्नायुतंत्र में विषैले तत्त्व लेक्टिक व यूरिक एसिड के रूप जमा होते हैं। आसनों को करने से इन जोड़ों में खिंचाव होने से विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं जिससे लचीलापन आता है।
महिला : स्टे फिट
१. सेहतमंद रहें
महिलाओं में अनियमित माहवारी, एनीमिया, कमजोर हड्डियों की तकलीफ ज्यादा होती है।
मत्स्यासन : पद्मासन में बैठकर पीछे जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद सीने को उठाते हुए सिर को नीचे मोडक़र क्षमतानुसार पीछे की ओर देखें।
फायदा : शरीर की अकडऩ को दूर कर कई विकारों से बचाता है।
२. प्रेग्नेंसी
गर्भावस्था के शुरू के तीन माह शारीरिक गतिविधि बेहद जरूरी है।
गोमुखासन : एक पैर को दूसरे पर टिकाकर घुटनों को मिलाएं। इस दौरान ध्यान रखें कि पंजे बाहर की तरफ निकले हों। दाएं हाथ को कमर के पास से व बाएं को गर्दन के पास से पीछे ले जाते हुए दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर अपनी-अपनी दिशा में खीचें। इसी तरह हाथ व पैर बदलकर भी करें। पद्मासन, वज्रासन व तितली आसन भी कर सकते हैं।
फायदा : पेट की मांसपेशियां मजबूत होंगी व शरीर में लचीलापन आएगा।
ध्यान रखें: कठिन योग न करें। चक्कर आने पर योग न करें।
युवा : स्ट्रेस बस्टर
तनाव को बाय-बाय
युवाओं में नर्वस सिस्टम के प्रभावित होने से तनाव व अवसाद के मामले ज्यादा सामने आते हैं। इसकी मुख्य वजह बिगड़ती लाइफस्टाइल व गलत खानपान है। वे कुछ खास आसन जैसे पश्चिमोत्तासन, चक्रासन, सर्वांगासन, धनुरासन, हलासन, अद्र्धसर्वांगासन, अद्र्धमत्सेन्द्रासन, ताड़ासन आदि कर सकते हैं।
1. पश्चिमोत्तासन
इसमें पैरों को सीधा कर सामने जमीन पर फैलाएं। धीरे-धीरे आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से अंगूठे पकड़े और सिर को घुटनों से लगाएं।
फायदा : एसिडिटी, दर्द, मरोड़ अपच की समस्या दूर होती है।
ध्यान रखें : जिनका शरीर लचीला न हो वे तेजी में इसे न करें। मांसपेशियों को क्षति पहुंचने से इनमें खिंचाव हो सकता है।
२. अद्र्धमत्सेन्द्रासन
दाएं पैर के पंजे को कूल्हे के पास लाकर बाएं पैर के पंजे को दाएं घुटने के पीछे खड़ा रखें। गर्दन को बाएं पैर की तरह से क्षमतानुसार पीछे की ओर ले जाएं। फिर दाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे को पकड़ लें।
फायदा : फेफड़े, किडनी, पेट की कार्यक्षमता में सुधार ।
ध्यान रखें : गर्दन और कमर दर्द में यह आसन न करें।
३. हलासन
इसमेेंंं शरीर की स्थिति हल की तरह बनने के कारण इसे हलासन कहा गया है। इसमें लेटकर हाथों को जमीन पर टिकाएं और पैरों को उठाते हुए सिर के पीछे लगाएं।
फायदा : अपच की समस्या दूर होकर भूख बढ़ती है। पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
ध्यान रखें : अधिक वजन, पेट व कमरदर्द से पीडि़त व्यक्ति बिना विशेषज्ञ की सलाह से न करें।