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बैंक कर्मियों ने भी काला पट्टी बांधकर काला कानून का विरोध किया

locationडिंडोरीPublished: May 22, 2020 09:58:14 pm

Submitted by:

Rajkumar yadav

श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ ट्रेड यूनियन ने हल्ला बोलाकेंद्र की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में श्रमिक संघों का प्रदर्शन

Bank workers also protested against the black law by tying black bars

Bank workers also protested against the black law by tying black bars

अमरपुर. डिण्डौरी. देश के तीन बड़े राज्यों उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात में यहाँ की सरकार द्वारा श्रम कानून को तीन वर्ष के लिए सस्पेंड किए जाने के खिलाफ देश की 10 केन्द्रीय ट्रेड यूनियन्स ने 22 मई को देश व्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया गया था।इसके सर्मथन में ग्रामीण बैंक के संयुक्त फोरम ने भी सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ हाथ में काली पट्टी बाँधकर कार्य करने का निर्णय लिया, और कई अन्य संगठनों ने केंद्र सरकार पर श्रम कानूनों का निलंबन मानवाधिकारों और श्रम मानकों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन हैं ऐसे फैसले लेने का आरोप लगाया है। जो मजदूर वर्ग के खिलाफ है। सरकार ने ऐसे वक्त फैसला लिया है जब मजदूर पहले से ही कोरोना और लॉकडाउन के कारण गहरे संकट में हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किए लॉकडाउन के कारण ठप पड़ी उद्योग-धंधों की रफ्तार बढ़ाने के लिए कई प्रदेश सरकारों ने श्रम कानूनों को नरम बनाया है।उत्तर प्रदेश की सरकार ने श्रम कानूनों को 3 साल के लिए शिथिल कर दिया, वहीं मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी श्रम कानून में संशोधन कर कई बदलाव किए हैं। एमपी में कारखानों में काम करने की शिफ्ट अब 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की कर दी गई है।गुजरात सरकार ने भी श्रम कानूनों में बदलाव किए हैं। केंद्र सरकार की कोविड.19 की आड़ में देश के मजदूर वर्ग पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की मंशा से प्रहार कर रही है। केंद्र सरकार देश के सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को पूंजीपतियों के हाथ बेचना चाह रही है। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार देश के सरकारी एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को बर्बाद करने पर आमादा है। देश की वर्तमान मोदी सरकार मजदूर विरोधी है, लेकिन कोयला मजदूर सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों को कतई सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने बताया कि कामर्शियल माइनिंग समेत खदानों के लीज स्थानांतरण 50 कोल ब्लाक का आवंटन, कारपोरेट घराने को लाभ पहुंचाने का षड्यंत्र, श्रम कानून में परिवर्तन कर 12 घंटे काम की अवधि तक काम कराने के अध्यादेश तथा संस्थानों में 16 घंटे तक काम करने की बाध्यता को वापस करने, रास्ते में दुर्घटना या बीमारी से मारे गए समस्त मजदूरों के परिवार को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा देने सरकार की घोषणा के अनुरूप कोरोना के कारण उद्योग में काम से बैठे समय का मजदूरी का भुगतान कराने, मनरेगा की अवधि साल में दो सौ दिन करते हुए मजदूरी दर पांच सौ रुपये प्रतिदिन करने आदि मांगों के समर्थन एवं मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में मजदूर संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आंदोलन किया गया।

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