scriptBJP and Congress candidates are afraid of defeat from their own people | अपनों से ही भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार का सता रहा है डर | Patrika News

अपनों से ही भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों को हार का सता रहा है डर

locationडिंडोरीPublished: Oct 17, 2023 12:28:38 pm

Submitted by:

shubham singh

कांग्रेस के ओमकार मरकाम का भाजपा के पंकज टेकाम से है मुकाबला

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डिंडौरी. प्रदेश कि हाट सीट मानी जाने वाली आदिवासी अंचल कि डिंडोरी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस सीट की पहचान बैगा आदिवासियों से है। यहां आधे से ज्यादा आबादी बैगा आदिवासियों की है। विशेष जनजाति मे होने के बावजूद यहां विकास नाममात्र का है और यहां के आदिवासी बुनियादी सुविधाओं से कोसो दूर है। पिछले पंद्रह सालों से यह सीट कांग्रेस के कब्जे में है यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीन बार से विधायक रहे ओमकार मरकाम को फिर से मैदान में उतारा है वहीं भाजपा ने युवा चेहरे को तवज्जो देते हुए पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष पंकज टेकाम को मैदान में उतारा है। डिंडौरा विधानसभा सीट से इस बार दोनो ही दलों के प्रत्याशियों को अपनो से ही खतरा बना हुआ है।
राजनीतिक समीकरण
डिंडौरी विधानसभा में पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2008, 2013 और 2018 मे कांग्रेस के ओमकार मरकाम जीतते आए हैं। उन्होंने 2013 मे भाजपा के जय सिंह मरावी को 6388 मतों से, 2018 मे एक बार पुन: जयसिंह मरावी को 32050 वोटो से तथा 2008 के विधानसभा चुनाव मे ओमकार सिंह मरकाम ने भाजपा के ओम प्रकाश धुर्वे को 32000 वोटो से हराया था। यही वजह है कि यह सीट कांग्रेस का मजबूत किला माना जा रहा है जिसको भेदने का हर सम्भव प्रयास भाजपा और अन्य दलो द्वारा किया जा रहा है ।
विधायक की छवि
मौजूदा विधायक ओमकार मरकाम आदिवासी नेता है और आदिवासियों के बीच अच्छी खासी पकड़ है। यहां करीब आधी आबादी आदिवासियों की है और ओमकार मरकाम कि आदिवासियों तथा अन्य लोगो के बीच मिलनसार और अच्छी छवि मानी जाती है फिर भी इस बार राह आसान नहीं है।
रुद्रेश बिगाड़ सकते हैं समीकरण
ओमकार मारकाम को इस बार कांग्रेस के ही ही नेता रुद्रेश परस्ते से खतरा बना हुआ है। उन्होंने पहले भी कई बार अपने विधायक के खिलाफ बगावती सुर आपनाए थे और कांग्रेस आलाकामन के सामने भी कई बार अपनी बात रख चुके हैं। इसके आलवा उन्होंने पहले ही पार्टी से टिकट न मिलने पर निर्दलीय या फिर अन्य पार्टी से चुनाव लडऩे के संकेत दे दिए थे, हालांकि टिकट बंटवारे के बाद से अभी तक रुद्रेश परस्ते कि कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अभी नामांकन फार्म भरने मे समय बचा हुआ और उनकी खामोशी किसी बडे राजनीतिक घटनाक्रम को अंजाम दे सकती है। रुद्रेश परस्ते की भी काफी अच्छी पकड़ आदिवासी मतदाताओं के साथ ही अन्य के बीच भी मानी जाती है।
विजयरथ पर अंकुश लगाने की तैयारी
इस बार कांग्रेस के अभेद किला कहे जाने वाले डिंडोरी विधानसभा को जीतने कि जिम्मेदारी भाजपा के युवा नेता पंकज टेकाम को सौंपी गई है। पंकज टेकाम युवाओ के बीच चर्चित चेहरा है। पिछले दो चुनाव मे हार के बाद भाजपा नेतृत्व ने पंकज टेकाम पर भरोसा जताया है। पंकज की छबि शहरी क्षेत्र में ठीक है लेकिन ग्रामीण अंचल से इनका वास्ता बहुत कम रहा है। इसके पहले वह डिंडौरी नगर पालिका के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और अध्यक्ष रहते इनका कार्यकाल अच्छा था। इन्हे भी अपनी ही पार्टी मे उठ रहे विरोध और अंतरकलह का सामना करना पड सकता है।
आसान नहीं है पंकज के लिए भी राह
भाजपा नेतृत्व ने पंकज टेकाम पर भरोसा तो जताया है लेकिन आज भी डिंडौरी विधानसभा कि आधे से ज्यादा आबादी चाड़ा, करंजिया, सामनापुर और बजाग मे बैगा आदिवासियों की है और उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ हमेशा से रहा है।

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