scriptआंखो में रोशनी नहीं दी पर हाथो में हुनर दे दिया | Did not give light in the eyes but gave me skills in the hands | Patrika News

आंखो में रोशनी नहीं दी पर हाथो में हुनर दे दिया

locationडिंडोरीPublished: Aug 21, 2019 09:49:59 pm

Submitted by:

Rajkumar yadav

एक भाई तबला बादक तो दूसरा कारीगिरी में माहिर जन्म से ही नेत्रहीन थे तीनो भाई, एक की हो चुकी है मौत

Did not give light in the eyes but gave me skills in the hands

Did not give light in the eyes but gave me skills in the hands

गाड़ासरई. जन्म से नेत्रहीन होने के बाद भी कुदरत की ऐसी कृपा है कि इनके हुनर के सब कायल है। हाथो में ऐसी कला है देखने वाले देखते रह जाते हैं। हम बात कर रहे है डिंडोरी जिले की ग्राम पंचायत मझियाखार के ग्राम संगमटोला में निवास करने वाले बकसू मांझी के परिवार की। संगमटोला निवासी बकसू मांझी के तीन बेटे थे जिनमें से तीनो ही बचपन से नेत्रहीन है। जिनमें से बड़े बेटे बिहारी लाल की मौत हो चुकी है लेकिन दो बेटे अयोध्या मांझी व बुधराम मांझी। इन दोनो को ईश्वर ने आंखे तो नहीं दी है लेकिन इनके हाथो में ऐसी कला दी है कि इन्हे देखने और इनके बारे में सुनने वाले सभी इनके कायल है। दोनो ही भाई विशेष कला में माहिर हैं और वह अपने क्षेत्र में अपनी इन्ही विशेष कलाओं के लिए जाने जाते हैं।
तबले की थाप के सब दीवाने
बकसू माझी का छोटा बेटा बिहारी लाल माझी तबल वादन में माहिर है। लोग उसे तबलवादक के नाम से ही जानते हैं। जब वो तबला बजाता है तो लोग उसे सुनते ही रह जाते है और उसे तबला बजाते देखने व तबले की धुन सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है।
कारिगिरी में माहिर
नेत्रहीन होने के बाद भी बकसू का दूसरा बेटा अयोध्या को हाथ ही कारीगरी में महारथ हासिल है। नेत्रहीन होते हुए भी वह अपने हाथों से एक से बढ़कर एक सामग्री घर मे ही तैयार कर लेता है। अयोध्या मांझी सीमेन्ट की बोरी को खोलकर उसके एक एक रेशे को निकालकर गुथ लेता है व उसी रेशे से चटाई टोपी बैग व डिजाइनदार खाट भी बनाता है। इसके हाथो की कलाकारी देखते बनती है।
राह दिखाती है पत्नी
अयोध्या मांझी व उसके भाई बिहारी मांझी अपने काम के लिए पूरे गांव मे अकेले ही बिना किसी सहारे के आनाजाना कर लेते है। गांव के बाहर शहर रिश्तेदारी में आने जाने के समय अयोध्या की पत्नी कोटा बाई अपने पति का हाथ पकड़कर साए की तरह साथ साथ चलती है।
सहेजने वाला कोई नहीं
इस परिवार के दोनो बेटों में कलाकारी तो है पर इसे सहेजने वाला कोई नही है, ताकि इन कलाकारों को आगे बढ़ाया जा सके। इस छेत्र के किसी भी जन प्रतिनिधि या अधिकारी और सरपंच ने इस ओर ध्यान देना जरूरी नही समझा। जिससे वो अपनी कलाकारी का प्रदर्शन कर सके। इन नेत्रहीनों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। जिसके चलते हाथो में इतनी कलाकारी होने के बाद भी यह गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं।

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