फर्जी आईडी के जरिए रेस्ट हाउस में रुकने पर पुलिस ने की कार्रवाई, फर्जी विजिटिंग कार्ड और एक लग्जरी कार भी बरामद
फर्जी प्रोफेसर बनकर रह रहा था रेस्ट हाउस में, चार बाबा गिफ्तार
डिंडोरी. स्वयं को भारतीय प्रशासनिक सेवा का वरिष्ठ अधिकारी बताकर सरकारी रेस्ट हाउस में रुकने और वीआईपी सुविधा की मांग करना चार साधुओं को भारी पड़ गया। इसके द्वारा कलेक्टर और एसडीएम को किए गए मोबाइल मैसेज की भाषा में गड़बड़ी के चलते शक के आधार पर की गई तफ्तीश में राज खुल गया। जिसके बाद सोमवार देर रात चारों साधुओं के विरुद्ध सिटी कोतवाली में धारा 420, 471, 467 और 34 के तहत अपराध कायम कर गिरफ्तार कर लिया गया। चूंकि कलेक्टर के निर्देशन पर सत्कार अधिकारी ने चारों साधुओं को रेस्ट हाउस मुहैया कराया था। लिहाजा प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी उंगली उठ रही है। फर्जी आईएएस तथा साधुओं से जुड़े इस मामले की गंभीरता को देखते हुये देर रात तक कोतवाली में समूचे प्रशासनिक अमले ने डेरा डाले रखा और आरोपियों से जानकारी जुटाई।
उक्त मामले में जानकारी देते हुये मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दिलीप यादव ने बताया कि मधुसूदन नामक साधु ने प्रमुख सचिव कार्यालय में फोन कर खुद को आईएएस बता डिंडोरी में विश्राम गृह में रुकने की बात कहते हुये कक्ष आरक्षित करने की बात कही। जिसके बाद प्रमुख सचिव कार्यालय से डिंडोरी एसडीएम प्रीति यादव को फोन आया और आईएएस के रुकने संबंधी जानकारी दी गई। मधुसूदन स्वामी जो हरिद्वार उत्तराखण्ड के बताये जा रहे हैं उनके द्वारा कलेक्टर सुरभि गुप्ता को भी फोन लगाया गया। इसके बाद कलेक्टर व एसडीएम को मैसेज किया जिसमें भाषा शैली स्तरीय नहीं प्रतीत हुई और संदेह होने के बाद जैसे ही मधुसूदन और उनके साथी बाबा यहां आये तो वेबसाइट पर उनकी जानकारी एकत्र की गई। जिसमें उनके आईएएस होने संबंधी कोई जानकारी नहीं लगी। अन्य स्रोतों से भी जानकारी ली गई जिसमें मधुसूदन स्वामी फर्जी आईएएस प्रतीत हुए। जिसके बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप यादव और एसडीएम प्रीति यादव ने विश्राम गृह में पहुंच सामान्य पूछताछ की और सच सामने आ गया। विश्राम गृह में मधुसूदन स्वामी पिता लोटन यादव निवासी कनखल हरिद्वार उत्तराखंड के अतिरिक्त तीन अन्य संत भी ठहरे थे और एक नाबालिग भी इनके साथ था।
इनके वाहनों के चालक निजी होटल में ठहरे हुये थे। जिन्हें बुलाया गया और सभी को कोतवाली लाकर उनसे गहन पूछताछ की गई। मधूसूदन द्वारा दिया गया विजिटिंग कार्ड भी फर्जी निकला। जिसके बाद तहसीलदार के द्वारा कोतवाली में एफआईआर कराई गई। फिलहाल पुलिस ने सभी को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। मधुसूदन के अतिरिक्त उनके साथ यहां रुकने वालों में स्वामी निर्भयानंद, स्वामी बसंत ब्रम्हचारी और विनय कुमार द्विवेदी शामिल हैं। जिन पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इन बाबाओं के द्वारा वरना वाहन क्र. यूपी 80 ईएच 7451 और स्कार्पियो क्र. पीबी 12 एच 0333 का इस्तेमाल किया गया है। वाहन में उत्तरप्रदेश सचिवालय के पार्किंग की स्लिप भी चिपकी हुई है। बताया जा रहा है कि चारों साधु पुरानी डिंडोरी में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिये आये थे। यहां पर स्वामी शिवजी महाराज 26 फरवरी को ब्रम्हलीन हुए थे और उनके शिष्यों ने रामकीर्तन आदि का आयोजन किया था। ब्रम्हलीन स्वामी जी के शिष्यों ने देश भर से संतों को आमंत्रित किया था। यहां आयोजकों ने आने वाले संतो के लिये होटल आदि की व्यवस्था की थी लेकिन मधुसूदन स्वामी के चक्कर में अन्य साधु भी विश्राम गृह में ठहर गये और मामले में फंस गये। साधुओं को कोतवाली में लाने के बाद कलेक्टर सुरभि गुप्ता, मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप यादव, एसडीएम प्रीति यादव, पुलिस अधीक्षक एम एल सोलंकी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवकुमार सिंह, एसडीओपी बी एस गोठरिया, तहसीलदार गणेश देशभ्रतार पहुंचे और बाबाओं से पूछताछ की।