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गायब हो गई पार्क की हरियाली टूट गए मनोरंजन के साधन

locationडिंडोरीPublished: Apr 13, 2018 04:59:46 pm

Submitted by:

shivmangal singh

उपेक्षा के चलते एकमात्र उद्यान हो रहा वीरान

Gone are the greens of parked entertainment

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डिंडोरी। जिला मुख्यालय में लगभग दो साल पहले बनाया गया उद्यान अब वीरान होने की कगार पर है। नगर में एक भी स्थान ऐसा नहीं है। जहां पर मन और तन की प्रफुल्लता के लिए नगरवासी जा सकें। जिसे देखते हुये सिविल लाईन के पास त्रयंबकेश्वर महादेव उद्यान की स्थापना की गई और स्थापना के समय यहां पर दो फाउण्टेन, हरी घास, झूले, आकर्षक विद्युत, बैठने के लिए कुर्सियां आदि लगाई गई हैं, लेकिन यह उद्यान दो साल में ही वीरान होने लगा है, यहां अव्यवस्थाओं के चलते लगातार नगरवासियों की आमद में कमी आती गई। भारी भरकम राशि खर्च कर इस उद्यान को सजाया गया था, लेकिन नगर परिषद की लापरवाही के चलते उद्यान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इस संबंध में अब जिम्मेदार फिर से इसे गुलजार करने के लिये कार्रवाई किये जाने की बात कह रहे हैं।
नगर परिषद के जिम्मेदारों में प्रबंधन क्षमता की कमी का सबसे बड़ा उदाहरण यहां के पार्क के रूप में देखा जा सकता है। वन विभाग की मदद से पार्क को खूबसूरत बनाया गया। तात्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज की विशेष रूचि के चलते यहां पर अच्छे पार्क का विकास किया गया, लेकिन नगर परिषद इसे यथावत भी नहीं रख पाई और आज हालात यहां बदतर हो चले हैं। पार्क में चारों ओर फैली हरियाली गायब हो चुकी है। यहां पर झूले और अन्य मनोरंजन के साधन टूटने फूटने लगे हैं, पार्क में लगाये गये फव्वारे अपनी बदहाली के आंसू बहा रहे हैं। तात्कालीन समय में लगाये गये वृक्ष सूख गये हैं, विद्युत के लिये लगायी गई, लाइट्स और पोल जमीन पर पड़े हुये हैं, चारों ओर कचरा व अव्यवस्था उपेक्षा की स्पष्ट कहानी बयां कर रही है। पार्क घूमने पहुंचे विजय विश्वकर्मा ने बताया कि दिन भर की थकान के बाद वे यहां पर रिफ्रेश होने के उद्देश्य से पहुंचे थे लेकिन यहां पर और अधिक तनाव होने लगा। इस संबंध में जिम्मेदारों से जानकारी चाही गई तो उनके पास फिलहाल पार्क के विकास के लिये कोई योजना तैयार नहीं है, लेकिन पार्क का नाम आते ही यहां पर घास आदि की व्यवस्था किये जाने की बात कही गई। नगर परिषद अध्यक्ष पंकज तेकाम ने कहा कि पार्क के विकास के लिये घास व अन्य व्यवस्थाएं की जायेंगी हालांकि उन्हें इसके निर्माण में खर्च की गई राशि और मद की जानकारी नहीं है। वहीं उपाध्यक्ष महेश पाराशर के अनुसार वन विभाग ने पार्क का विकास किया था और जनभागीदारी से यहां पर झूले व अन्य मनोरंजन के साधन लगाये गये थे।

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