सिर दर्द बने बारिश के चार माह, बीमार और बच्चों की होती है फजीहत
डिंडोरीPublished: Sep 12, 2018 05:18:46 pm
ग्रामीण पैदल तय करते हैं सात किमी का रास्ता
सिर दर्द बने बारिश के चार माह, बीमार और बच्चों की होती है फजीहत
डिंडोरी। एक तरफ सरकार विकास के तमाम दावे करती है, सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद एमपी की सडकों को अमेरिका से बेहतर होने का दंभ भरते नजर आते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। ताजा मामला डिंडोरी जिले के मूसामुंडी ग्रामपंचायत का है जहां सड़क की हालत इतनी खस्ता है कि ग्रामीणों को सात किलोमीटर का लंबा सफर पैदल ही तय करना पड़ता है। क्योंकि कीचड से सराबोर इस कच्चे सड़क में इतने बड़े बड़े गडढे हैं कि गांव तक वाहनों का पहुंचना असंभव है, सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना यहां स्कूली छात्रों को करना पड़ता है।
स्कूली छात्र हाथ में जूते चप्पल लिये कीचड के दलदल को पार कर कितनी मुसीबतों के बाद स्कूल पहुंच पाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अगर उनके गांव में कोई बीमार हो जाये या गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होती है तो उन्हें खटिया के सहारे पैदल चलकर अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। बदहाल सड़क को दुरुस्त कराये जाने की मांग करते करते ग्रामीण अब थक गये हैं और उन्होंने चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय ले लिया है। ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का एक शिकायत पत्र जिला प्रशासन को सौंप दिया है साथ ही ग्रामीणों ने अपनी दीवारों में भी रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा लिखकर आंदोलन करने का मन बना लिया है। वहीं जवाबदार विभाग के अधिकारी सड़क की बदहाली की बात तो स्वीकारते हैं साथ ही गोलमोल जवाब देकर अपनी जवाबदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
स्कूल चलें हम,सब पढ़ें सब बढ़ें,सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलती ये तस्वीरें मूसामुण्डी गांव की है जहां 50 से ज्यादा स्कूली छात्रों को रोज ऐसे ही कीचड के दलदल को पार कर स्कूल पहुंचने के लिये प्रतिदिन करीब 14 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है,छात्रों ने बताया कि कई बार वो कीचड में गिर जाते हैं। जिससे उनकी ड्रेस और किताबें खराब हो जाते हैं।
स्कूली छात्र पढ़ लिखकर अपना भविष्य बनाने की चाह में सालों से ये मुसीबतों का सामना करने को मजबूर हैं। एमपी की सडकों को अमेरिका से बेहतर बताने वाले सीएम शिवराज मामा से छात्रों ने मांग की है कि वो जल्द उनके गांव तक सड़क बनवा दें ताकि वो रोज आसानी से स्कूल पहुंच सकें।
सड़क की बदहाली से तंग आकर पूरे गांव के लोग लामबंद हो गये हैं और चुनाव के पहले सड़क नहीं बनाये जाने पर चुनाव बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है। जिसकी सूचना ग्रामीणों ने जिलाप्रशासन को दे दी है और गांव की दीवारों में रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे को बुलंद किया जा रहा है। लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी कैमरे पर यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि सड़क की स्थिति बेहद खराब है लेकिन सड़क कब तक बनेगी इसका कोई संतोषजनक जवाब उनके पास नहीं है बातों ही बातों में अधिकारी ने जनप्रतिनिधियों की पोल जरूर खोलकर रख दी, लोकनिर्माण विभाग के एसडीओ यू एस सिंह ने बताया कि जबतक कोई जनप्रतिनिधि विधायक सांसद या मंत्री डिमांड नहीं करते तबतक लोकनिर्माण विभाग सड़क कैसे बना सकता है जबकि ग्रामीण लगभग सभी जनप्रतिनिधियों से सड़क बनाने की मांग कर चुके हैं।