डिंडोरीPublished: Mar 25, 2019 10:29:36 pm
Rajkumar yadav
बच्चों में दिखा खासा उत्साह, मनाई रंगपंचमी
Horoscope of Dhuri with Dhamako on Rangpanchami
शहपुरा रंगो के पर्व होली की शरूआत धुरेडी के दिन से लगातार पंाच दिनो तक मनाया जाता है व रंगपंचमी के दिन विशेेष रूप से लोग गुलाल व रंग लगा कर रंगो का त्यौहार रंगपंचमी मनाया जाता है। सोमवार के दिन रंगपंचमी के अवसर पर हुरियारो की टोली ने पूरे पूरे नगर में भ्रमण कर सबको रंग व गुलाल लगाया ,साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में भी इस दिन काफी उत्साह दिखा । होली के अवसर पर नगरवासियो ने जमकर होली खेली ,चारो ओर रंग गुलाल उडाते लोग नजर आये । होली की मस्ती में डूब बच्चे,युवा , बुर्जग, महिलाए सभी सुबह से एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाया ,इस पूरे अबसर पर बच्चो में खास उत्साह देखा गया ।बच्चे तो पूरा दिन ही एक दूसरे को दौड -दौड रगं लगाते व होली खेलते नजर दिखे । रंगपंचमी की धूम मानिकपुर ,बरगांव करौदी ,धिरवन,बिलगांव,अमेंरा ,बिछिया सभी जगहो पर रहीं।
प्रसासन रहा चाक चौबंद
पुलिस अधिक्षक डिण्डोरी के निर्देशानुसार नगर निरीक्षक हेमन्त व्ही वर्वे ने होली के त्यौहार के मददेनजर कई टीमो का गठन कर ग्राम रक्षा समिमियो को साथ मिला कर रात दिन गस्त किया। साथ ही हर प्रकार के हालातो का सामने करने के लिए तैयार थी। गठित टीम नगर व सभी सीमा क्षेत्रो में लगातार गश्त करती रही ।
रंगपंचमी पर जम के बरसा रंग,गुलाल
डिंडोरी। यूँ तो होली का त्यौहार धुरेड़ी के दिन से ही जोरशोर से प्रारंभ हो जाता है । लोग लगातार 5 दिनों तक रंग और गुलाल में सराबोर रहते हैं। होली के शुभ अवसर पर गुलाल लगाकर लोग एक दूसरे को बधाईयां देते हैं ।लेकिन रंग पंचमी के दिन होली का माहौल ही कुछ और रहता है। जिसका असर डिंडोरी की सड़कों पर सोमवार के दिन साफ तौर पर देखने को मिला। सोमवार को रगपचमी के अवसर पर पूरी तरह से बाजार बंद रखकर युवा व्यापारी बुजुर्ग बच्चे सभी ने जमकर रंग खेला। महिलाओं ने भी इस अवसर पर होली के रंग का लुफ्त उठाया। और जमकर रंग खेला युवाओं में पंचमी का रंग कुछ अधिक ही दिखाई दे रहा था। वही कुछ स्थानो पर नगर में जत्थे के जत्थे युवा होली खेलने में मग्न दिखाई दिए।
बैंड बाजे की धुन पर थिरके युवक
गोरखुपर। करंजिया विकासखंड के अंतर्गत कस्बा गोरखपुर में सोमवार को रंगपंचमी का पर्व उत्साह, उमंग के साथ हर्षोल्लास वातावरण में मनाया गया। सुबह से ही कस्बा के अलग अलग क्षेत्रों में बच्चों, युवकों युवतियों की टोली रंग से सराबोर होकर एक दूसरे को रंगाने निकल पड़े थे। कुछ स्थानों पर स्थानीय लोगों ने साउंड सिस्टम लगाकर गुलाल खेलते हुये नृत्य किया तो कहीं बैड बाजे के धुन पर देर षाम तक युवकों की टोली नृत्य करते हुये रंग में रंगे रहे।
गले मिलकर दी बधाई
रंग पर्व के पांचवे दिन कस्बा के मुख्य मार्ग चौराहे के समीप युवाओं ने हमजोलियों से गले मिलकर पर्व की शुभकामना दी। इस बीच बड़े बुजुर्गो को गुलाल भेंट कर चरण स्पर्श करते हुये जीवन में सफल रहने का आर्शीवाद लिया। इसके बाद कस्बा के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करते हुये लोगों ने अपने अपने रिस्तेदारों, मित्रों, परिचितों के घर पहुंचकर पर्व का आनंद उठाया और धमाचौकड़ी मचाई। बच्चों की टोली के द्वारा ढोल ढमाकें के साथ नाच गाना और जो मिला उसी को पकड़कर रंग देने के जोश के बाद बुरा न मानो होली है कहकर भाग जाने वाले दृश्य भी कस्बा में देखने को मिले। पूरा दिन कस्बा पूरी से रंग गुलाल से सराबोर रहा ।रंग पंचमी को लेकर लोगों का उत्साह सर चढकर बोल रहा था।
धुरेड़ी से ज्यादा रंगीन नजारा
सेमवार को कस्बा में धुरेड़ी के दिन की अपेक्षा रंगपंचमी पर ज्यादा रंगीन नजारा नजर आया। धुरेड़ी के दिन उतना उत्साह, उमंग, कस्बा के लोगों में देखने को नही मिला था, लेकिन पंचमी के दिन युवकों और बच्चों की टोलियां सुबह से ही रंग गुलाल लेकर सड़कों पर उतर आये और सभी के चेहरे रंग दिये सुबह से शाम तक कस्बा में सतरंगी छटा बिखरी रही।
जगह जगह फाग गीतों का आयोजन
गोरखपुर। करंजिया विकासखंड अंतर्गत गोरखपुर में रंगोत्सव पर्व के मद्देनजर अलग अलग स्थानों पर फाग गायनों का आयोजन किया जा रहा है। मांदर ढालक और टिमकी की थाप पर फाग गीतों की प्रस्तुति दी जा रही है। गायकों द्वारा धार्मिक प्रसंगों के साथ साथ क्षेत्रीय घटनाक्रमों को भी गीतों के माध्यम से वर्णन किया जा रहा है । इसके साथ ही गायकों द्वारा प्रतियोगिता की शैैली में फाग गीतों का गायन किया जा रहा है। विशेष शैली से गायन किये जा रहे इन गीतों को देखने और सुनने के लिये लोगों की भीड़ लगी रहती है, साथ ही इन गीतों को लोगों द्वारा पसंद भी किया जाता है। इस त्यौहार में इन गीतों का अलग ही महात्व होता है। गायन कार्यक्रम में लोग बड़ चड़कर हिस्सा लेते है और वर्षो से सहेजे व नये गीतों का भी प्रस्तुति करण किया जाता है। इस दौरान गायकों द्वारा गीतों के माध्यम से भी सवाल जवाब का दौर भी चलता है जो खूबशूरती प्रदान करता है कुछ वर्षो पूर्व फाग गायन का सिलसिला धीरे धीरे खत्म सा होने लगा था लेकिन युवाओं द्वारा दिलचस्पी लेने के बाद फिर फाग के गीत रंग में रंगने लगे है और पूर्वजों से चली आ रही पारम्परिक गीतों की यह प्रथा फिर से एक नये रूप में प्रस्तुत की जाने लगी।