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स्मरण शक्ति खो रहा है लकवा पीडि़त लिपिक

locationडिंडोरीPublished: Jul 12, 2018 05:26:36 pm

Submitted by:

shivmangal singh

आर्थिक संकट के चलते नहीं हो पा रहा इलाज

Losing memory is paralyzed victim clerk

स्मरण शक्ति खो रहा है लकवा पीडि़त लिपिक

डिंडोरी. सेवा काल के दौरान जिस कार्यालय में लिपिक ने अपने जिंदगी के कई वर्ष बिता दिए उसी कार्यालय से उसे लगातार दुत्कार मिल रही है। ब्रेन हेमरेज के बाद लकवा से पीडि़त लिपिक अब स्मरण शक्ति खोने लगा है। आर्थिक संकट के चलते उपचार भी नहीं मिल पा रहा है। परिजन लिपिक को लिये कार्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक चक्कर काट रहा है लेकिन कहीं भी आस नजर नहीं आ रही है। जनपद पंचायत अमरपुर में लिपिक के पद में पदस्थ सेवा रघुवंशी को 2012 में ब्रेन हेमरेज हुआ था। जिसके बाद नागपुुर सहित अन्य जगहों में उपचार कराया गया। जिसके बाद काफी हद तक सुधार आया और वह पुन: कार्यालय में सेवायें देने लगा, लेकिन विगत वर्ष लकवा लग जाने के बाद फिर से तबियत बिगड़ गई और परिजनों ने किसी तरह उपचार कराया। लगातार लिपिक के साथ हो रही घटनाओं के बाद परिवार भी परेशान रहने लगा। साथ ही घर में रखी पूंजी भी उपचार में खर्च हो गई और अन्य रिश्तेदारों से भी कर्ज लेना पड़ा। किसी प्रकार का स्वास्थ्य में सुधार हुआ लेकिन दूसरी बार लकवा मारने की वजह से पूरा परिवार अस्त व्यस्त हो गया है। अब पूरा परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। मंगलवार को जनसुनवाई में अपने पीडि़त पति को साथ में लेकर पहुंची रामप्यारी बाई ने उक्त घटना के संबंध में बताते हुये जनपद पंचायत अमरपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर आरोप लगाया है कि सेवायें देने के बाद भी दस माह से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिससे वह पीडि़त का उपचार नहीं करा पा रहे हैं जबकि पति हर रोज दफ्तर जाते हैं और हाजिरी रजिस्टर में दर्ज करते हैं। लेकिन मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर में गोल निशान लगा दिया जाता है कारण पूछने पर जवाब भी नहीं दिया जाता। अब हालत ऐसी है कि पति स्मरण शक्ति भी खोते जा रहे हैं। मुख्य कार्यपालन अधिकारी से वेतन की मांग करने पर गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया जा रहा है। वहीं मुख्य कार्यपालन अधिकारी सफी अहमद कुरैशी ने इस संबंध में बताया कि सेवा रघुवंशी द्वारा कार्यालय में सेवायें नहीं दी जा रही हैं। ऐसी दशा में वेतन भुगतान करना संभव नहीं है पूर्व में दो माह का वेतन भुगतान किया गया था। लेकिन लगातार सेवायें देने में असमर्थ होने की दशा में वेतन पर रोक लगा दी गई है।
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