धनन्जय बर्मन
अध्यक्ष, मांझी समाज
लॉक डॉउन में कुछ तकलीफ जरूर हुई, लेकिन इस दौरान कुछ सीखने को भी मिला। 50 लोगों को लेकर शादी का फैसला अच्छा है फालतू खर्चे से बचेंगे। वही मृत्युभोज कराने को लेकर सब की भिन्न भिन्न राय है। मेरा मानना है कि फिजूल खर्च से बचा जाना चाहिए और अपने सामर्थ से अधिक कर्ज लेकर कोई कार्यक्रम नहीं करना चाहिए, चाहे विवाह हो या मृत्युभोज।
डॉ. आनन्द गवले
सचिव मेहरा समाज
वर्तमान प्रदर्शनकारी आधुनिक युग में शादी विवाह में भारी फिजूलखर्ची देखने में आती है। जिसमें रोक लगना चाहिए। कोरोना काल में हो रही शादियां सुखद सकारात्मक संदेश दे रही हैं, जिसे अपनाना समाज के लिए हित में होगा। फिजूलखर्ची पर रोक लगना चाहिए। मृत्यु उपरांत दिया जाने वाला मृत्युभोज मेरी दृष्टि में एक कुरूती ही है, जिसे बंद होना चाहिए। खिलाने वाला अप्रसन्नता से खिलाता है और खाने वाला भी अप्रसन्नता से खाता है।
डॉ. सुनील जैन
जिलाध्यक्ष जैन समाज
बेशक समाज एक सकारात्मक दिशा की ओर चल पड़ा है और विवाह समारोह आदि में फिजूलखर्ची पर नियंत्रण अत्यावश्यक था। इसके अलावा मृत्यु भोज पर सामाजिक कुरीति है रोक लगना ही चाहिये।
राजेश विश्वकर्मा
जिलाध्यक्ष विश्वकर्मा समाज