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लॉकडाउन से बीमार अर्थव्यवस्था को उबारने जिले में जैविक खेती,पर्यटन सहित कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ाना देना जरूरी

locationडिंडोरीPublished: May 30, 2020 10:14:51 pm

Submitted by:

Rajkumar yadav

प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को अब कुछ ऐसे विकल्पों पर विचार करना चाहिए जो रोजगार के साथ कुशलता भी दें

Need to give boost to agro-based industries including organic farming, tourism in the district to revive the sick economy from lockdown

Need to give boost to agro-based industries including organic farming, tourism in the district to revive the sick economy from lockdown

डिंडौरी। कोरोना पैनडेमिक ने जिले सहित सभी जगह अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है। रोजगार की कमी के कारण जिले के हजारों मजदूर देश के विभिन्न राज्यों में पलायन को मजबूर हुए थे। कोविड.19 के कारण लागू लॉकडाउन में हजारों मजदूर अब जिले में वापस आए हैं। अब प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के सामने बाहरी राज्यों से लौटे हजारों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसे में जिले में कुछ ऐसे रोजगार है जिनकों मजदूरों को उपलब्ध कराया जा सकता है। जिनकी जिले में प्रचुर उपलब्धता है। इन पर गंभीरता से ध्यान देकर जिले की अर्थव्यवस्था को उबारा जा सकता है। ये विकल्प हैं. जैविक खेती, कोदो.कुटकी उत्पादन, पशुपालन, स्किल डेवलपमेंट, लघु व कुटीर उद्योग, कृषि आधारित उद्योग आदि। अगर इनको बढ़ावा मिले तो हजारों की संख्या में वापस लौटे जिले के मजदूरों के साथ अन्य बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार प्राप्त होगा और सभी अपनी कार्यकुशलता से जिले की अर्थव्यवस्था में फिर से जान डाल सकेंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए मनरेगा सहित अन्य सरकारी निर्माण योजनाओं में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराए जाए। जिले में अधिक से अधिक काम खोले जाएं और सभी को रोजगार देने की कोशिश हो।
वनौषधियों का हो औद्योगिकीकरण
जिले में रहकर जनजातीय जीवनशैली, वनोपज और वनौषधियों पर रिसर्च वर्क कर चुके डॉ सौरभ मिश्रा कहते हैं। जिला एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां आदिवासी उपचार पद्धति का सदियों से बेहतर इस्तेमाल होता आ रहा है। ऐसे में वनौषधियों को रोजगारपरक उद्योगों से जोड़कर भारी मुनाफे के साथ आदिवासियों की कुशलता को भी प्रमोट किया जा सकता है। बाहर से लौटे कई मजदूरों में ऐसे कामों को लेकर काबिलियत है।
जिला बन सकता है बॉलीवुड मिनी हब
प्रकृति प्रेमी अभिनेता यजुवेंद्र प्रताप सिंह जल्द ही फिल्मों की लोकेशन देखने जिले में आ रहे हैं। उन्होंने जिले के बारे में देखने.सुनने के बाद यहां आने का फैसला किया है। उन्होंने पत्रिका को बताया कि मैंने जिले को करीब से देखा है। यह प्राकृतिक रूप से बहुत संपन्न जिला है। लिहाजा रोमांस, इमोशनल और फैमिली विषयों पर केंद्रित फिल्मों के लिए यह जिला उपयुक्त है। स्थानीय प्रशासन और कलाकारों को इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। जिले में बॉलीवुड मिनी हब बनने की काफी क्षमताएं हैं। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और जिले का दुनियाभर में प्रचार.प्रसार भी होगा।
ग्रामीण पर्यटन को मिले बढ़ावा
युवा समाजसेवी और पर्यटन प्रेमी रीतेश जैन ने कहा जिले में राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघुवा, कारोपानी ब्लैक बग पार्क, नेचुरल नेवसा फॉल, डगोना फॉल, देवनाला समेत ऐसे कई प्राकृतिक स्थान हैं। जहां पर ग्रामीण पर्यटन को विकसित की करोड़ों का लाभ कमाया जा सकता है। साथ ही हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। इस विषय में स्थानीय प्रशासन और पर्यटनप्रेमी नागरिकों को योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा। जिले के कृषि उपसंचालक पीडी सराठे का कहना है कि जिले में वनोपज संबंधी विकास वनोपज के सही उपयोग और वनोपज का उद्योगों के रूप में उपयोग सुनिश्ति करने के लिए प्रोजेक्ट बनाकर भेजा है। जैसे ही विभाग से स्वीकृति मिलती है। काम शुरू कर दिया जाएगा। डिंडौरी में 33 प्रतिशत जंगल हैं। लिहाजा वनोपज का कमर्शियल इस्तेमाल करके हजारों लोगों को रोजगार दिया जा सकता है। वनोपज का सही दिशा में इस्तेमाल करके जिले की अर्थव्यवस्था को गति दी जा सकती है और पलायन करने वाले लोगों को जिले में ही जॉब दिया जा सकता है।
वॉटर टूरिज्म की संभावनाएं
जिला मां नर्मदा की गोद में बसा एक सुंदर स्थान हैं। जिले के बीच से होती हुई मां रेवा जिले के कई गांवों को छूकर गुजरती हैं। लिहाजा प्रशासन को जिले में वॉटर टूरिज्म का मास्टर प्लान तैयार कर नौकायन जैसे विकल्पों को तराशना चाहिए। इससे सैकड़ों लोगों को स्वरोजगार प्राप्त होगा। साथ ही सरकार को रेवेन्यू भी मिलेगा।
पशुपालन में भी कई अच्छे अवसर
जिले में पशुपालन एवं पशुधन आधारित डेयरी उद्योगों की कमी है। वर्तमान में काफी किसान पशुपालन कर रहे हैं लेकिन इनका औद्योगिकीकरण न होने और प्रशासन का संरक्षण न मिलने से जिले में पशुधन की उपयोगिता न के बराबर है। इस दिशा में भी ध्यान देकर कई लोगों को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। इसके बेहतर विकास के लिए किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाए। जो किसान सिर्फ खेती पर निर्भर हैं उन्हें भी पशुपालन से जोड़ा जाए।
स्वरोजगार के क्या अवसर हैं
जिले में कोदो.कुटकी बेकरी यूनिट समेत अन्य लघु व कुटीर उद्योग के जरिए हजारों लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे का अभियान शुरू हो। ऐसे लोगों को सरकार कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराए। साथ ही जिले की अर्थव्यवथा खेती पर आधारित हैं इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। जैविक उत्पाद के लिए मार्केट डेवलप किया जाए ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिल सके और किसान परेशान न हों।

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