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ओलावृष्टि से हुए नुकसान की एक सप्ताह बाद भी नहीं ली सुध

locationडिंडोरीPublished: Mar 24, 2019 11:01:40 pm

Submitted by:

Rajkumar yadav

कृषकों ने की सर्वे की मांग, ग्राम सैलवार का मामला

Not even after one week of loss due to hail

Not even after one week of loss due to hail

गोरखपुर। करंजिया विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत सैलवार में 5 मार्च की शाम हुई ओलावृष्टि से गेंहू सहित दलहनी फसलों के नुकसान होने से कृषक परेशान है। रविवार को ओला प्रभावित गांवों के किसानों ने बताया कि सैलवार बचटोला रहटा तथा भुषंडा गांव में ओला ने तबाही मचाई थी। गेंहू की बालियां टूटकर जमीन पर गिर गई है तो बटरी की फसल जमीन पर बिछ गई, चने की फसल में इल्ली लगने के साथ ही दागी हो रहे है। जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। किसानों का कहना है कि फसलों के लिये बोए गए बीज वापस मिल जाये तो गनीमत है।
इनका हुआ नुकसान
सैलवार गांव के किसान शमीम खांन ने बताया कि उसने साढे तीन एकड़ की जमीन पर बटरी के फसल के लिये नियत समय पर बीज बोए गए थे।बीज बोने के बाद अच्छी फसल के लिये समय समय पर खाद्य, कीटनाशक डालने के साथ साथ पानी भी लगाया था फसल की स्थिति काफी अच्छी थी और कटाई के लिये कुछ ही दिन शेष बचे थे। ओलावृष्टि के बाद फसल पूरी तरह चौपट हो गई है अब तो बीज वापसी की उम्मीद नजर नही आ रही है। पूरी फसल जमीन पर बिछ गई, फल्लियां झड़ गई दाने भी काले पड़ गये, इसका भूसा भी नही बनेगा। भूषंडा गांव के कृषक अनिल कुमार परस्ते ने बताया कि उसके 15 एकड़ के जमीन के अलग अलग हिस्सों में गेंहू, चना, मसूर, बटरी की फसल बोई थी मसूर तो पहले ही पाले से प्रभावित है, शेष बची फसलों को ओला ने नुकसान पहुंचाया है। गेंहू की फसल ओलावृष्टि से प्रभावित होकर सूखने लगी है। पौधे भी पूरी तरह से नष्ट हो चुके है। सैलवार गांव के प्रहलाद गोयल ने 2 एकड़ जमीन में गेंहू की फसल लगाई थी जो पककर कटाई के लिये तैयार थी लेकिन ओलावृष्टि से खड़ी फसल पूरी तरह चौपट हो गई। ओले की सीधी मार से फसलें प्रभावित हुई हैं और रहे सहे अनाज की चमक गायब हो गई है जिसका दाम भी मिलना मुश्किल है।
किसानों ने की सर्वे की मांग
सैलवार सहित अन्य गांव के किसानों ने प्रशासन से ओलावृष्टि से हुये नुकसान की सर्वे की मांग करते हुये कहा कि कृषक लगातार कुछ वर्षो से प्राकृतिक आपदा के शिकार हो रहे है। ऐंसी स्थिति में किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ती जा रही है, क्योंकि यह क्षेत्र कृषि प्रधान है। परिवार के पेट पालने के लिये दूसरा जरिया नही है और न ही कोई रोजगार के साधन। ग्रामीण कृषक खिजान ंिसह परस्ते बसटोला, गजरू परस्ते सैलवार, परसू परस्ते भुषंडा, कुंवर मरावी भुषंडा, कमला बाई पन्द्राम बसटोला, फगनी बाई परस्ते व सोमबती विश्वकर्मा भुषंडा सहित अन्य गांव के किसानों ने कहा कि अब तो मात्र प्रशासन से ही आस है। किसानों के द्वारा तो फसलों की अच्छी पैदावार के लिये अच्छे किस्म का समय पर बीज की बोवनी की थी और फसल भी अच्छी थी। जिससे किसानों को उम्मीद थी परंतु ओला ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है। दूसरे सीजन के फसल के बाद ही उनके आगे की जीवन की रूप रेखा तैयार होती है। शादी विवाह के साथ ही पूर्व में लिये गये कर्ज की अदायगी, नये घर का निर्माण, बच्चों की पढाई सहित अच्छी फसल की पैदावार पर निर्भर करता है, लेकिन इस वर्ष ऐंसा कर पायेंगे असंभव सा लग रहा है।
सब्जी व फलदार पेड़ों को भी नुकसान
ग्रामीण कृषक जब्बार अली निवासी रहटा ने बताया कि दलहनी फसलों के साथ साथ ओलावृष्टि से टमाटर की फसल के फूल झड़ गये है, जिन पौधों में टमाटर विकसित हो रहे थे वो भी टूटकर गिर गये है। पालक मेथी की फसल तो चपेट में आने से मिट्टी में मिल गई है, आम के पेड़ के बौर झड़ गये है, पपीते जो पेड़ पर विकसित हो रहे थे ओला की मार के आगे नही टिक सके। कुल मिलाकर ओलावृष्टि से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और विकास की रफ्तार थम गया है।

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