उत्सव सा दिखा माहौल, झूला झूलने उमड़ी भीड़, वाद्य यंत्रों के साथ मढ़ई पहुंचे ग्वाल
डिंडोरी
Updated: February 21, 2022 12:22:38 pm
डिंडोरी/गोरखपुर. करंजिया विकासखंड अंतर्गत कस्बा गोरखपुर में दो दिवसीय मढ़ई मेले के आयोजन में रविवार को प्रथम दिवस कस्बा में चारों ओर उल्लास छाया रहा। इस बार स्थानीय नागरिकों के बीच मढ़ई को लेकर अधिक उत्साह देखने मिला। रविवार को मेला में घूमने फिरने एवं खरीदारी करने आसपास के गांवों से लोगों की भीड़ उमड़ी। ग्रामीणों ने मढ़ई में सजे दुकानों से विभिन्न प्रकार की सामग्री वस्तु की खरीददारी में खुद को व्यस्त रखा तो भीड़ का आधा हिस्सा झूलों के इर्दगिर्द नजर आया। बिजली के झूले नहीं होने की वजह से झूला प्रेमियों में निराशा भी देखने मिली। मढ़ई के मौके पर स्थानीय नागरिकों ने अपने परिजनों मित्रों सहित सगे संबंधियों के आगमन पर अपने अपने घरों में स्वागत करने के लिए घरों की साफ सफाई व रंग रोगन कर सजावट कर नाना प्रकार के व्यंजन बनाए। रविवार को मढ़ई के आगमन और बाजार परिसर में भ्रमण के बाद पंडा द्वारा चंडी माता की विधिवत पूजा अर्चना कर माता से मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना के बाद लोगों ने खरीदारी की। इस दौरान परम्परागत वेश भूषा में कलाकारों ने अहीर नृत्य कर दर्शकों का मनमोहा। यहां भारतीय संस्कृति एवं ग्रामीण परिवेश की अद्भुत झलक देखने को मिली। ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले मढ़ई मेले के अवसर पर यह दिन क्षेत्रवासियों के लिए बड़े पर्व की तरह होता हैं क्षेत्र के लोग इस दिन को खास बनाने के लिए तरह तरह के जतन करते हैं। खासकर अपने सगे संबंधियों को सूचित कर मढ़ई में पधारने का निमंत्रण देकर बुलाया जाता हैं। प्रत्येक घरों में विशेष प्रकार के व्यंजन बनाकर मेहमानों के साथ खुशी खुशी मिलकर और भेंट करने के बाद भोजन का आनंद उठाते हैं। रविवार को कस्बा में कुछ इसी तरह के दृश्य देखने मिलें जहां सभी आयु वर्ग के लोग सारी बातों को भुलाकर रविवार से मौज मस्ती के बीच उमंग और उत्साह के साथ मढ़ई के रंग में रंगे रहें। मढ़ई के प्रथम दिवस से कस्बा के अंदर किसी बड़े उत्सव के जैसा माहौल निर्मित है। यहां की मढ़ई स्थानीय नागरिकों के द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। लगभग बुधवार तक इसी तरह का माहौल बना रहेगा दरअसल मढ़ई की परंपरा हमारे लोककला और इतिहास की आत्मा है जबकि इसमें ग्रामीण जीवन व त्योहार का प्रतिबिंब दिखता है। यह रिश्ते जोडऩे का माध्यम भी बनते हैं। साथ ही सामाजिक मेलजोल बढ़ाने का खास अवसर रहता हैं उन्होंने बताया कि इस बार बाहर से आए दुकानदारों को बिना शुल्क के दुकान संचालन करने की सुविधा दी गई हैं।
नाचते गाते मड़ई में पहुंचे अहीर
रविवार को कस्बा में मढ़ई के खास मौके पर आसपास के गांवों के अहीर समाज के लोग दोपहर में परंपरागत वेशभूषा धारण कर ग्वालों के साथ नाचते गाते मडई ब्याहनें पहुंचे। सर्वप्रथम ठाकुर देव बाबा की विधिविधान से पूजा आरती की गई। इसके बाद मडई ब्याहने की परंपरा का निर्वहन कर आर्शीवाद लेने के साथ सुखी जीवन की कामना की। इसके बाद पारंपारिक वेशभूषा, वाद्य यंत्रों, ***** की थाप पर सिर में मोर पंख, हाथ में फरसा लाठी के साथ कौडी, रंगीन फुंदरे व गोठलर से बने वस्त्र धारण कर आकर्षक नृत्य करते हुए मडई स्थल का चक्कर पूरा किया। इस बीच विभिन्न मार्गो से मडई स्थल तक आने वाले अहीरों की टोली का स्वागत ग्रामीणों द्वारा किया गया।
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