वायु प्रदूषण का असर तो ताजमहल पर भी पड़ता है
डिंडोरी/शहपुरा। वायु प्रदूषण का असर जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों के साथ-साथ इमारतों पर भी पड़ता है। इसका उदाहरण है ताजमहल। प्रदूषण की वजह से उसका भी रंग फीका पड़ता नजर आ रहा है। शासकीय हाईस्कूल गुरैया में उपेन्द्र कुमार गुरुदेव, प्राचार्य एवं जिला मास्टर ट्रेनर इको क्लब के निर्देशन मे स्वच्छता अभियान के अन्र्तगत स्वच्छ हवा कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला में राष्ट्रीय हरित कोर योजना इको क्लब विद्यालय शासकीय हाईस्कूल एवं मा शाला गुरैया के विद्यार्थियों ने भाग लिया । उपेन्द्र कुमार गुरुदेव प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में वायु प्रदूषण के कारण एवं निवारण के उपायों के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से बताया। वायु प्रदूषण के कारण-बढ़ती हुई जनसंख्या, बढ़ते हुये उद्योग, संचार के साधन, वनों की अंधा-धुंध कटाई, परमाणु परीक्षण के बारे में बताकर, वायु प्रदूषण से बचने के उपायों जैसे – वनों की कटाई को रोकना एवं वृक्षारोपण कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित करना एवं आधुनिक तकनीक का उपयोग करना, जनसंख्या नियंत्रण, निर्धूम चूल्हा और सौर ऊर्जा का उपयोग अधिक करना, पेट्रोल वाहनों में कैटेलिटिक कनर्वटर लगाना, आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। विषय विशेषज्ञ अनामिका साहू, फारेस्ट गार्ड वन विभाग शहपुरा द्वारा ग्रीन हाऊस प्रभाव, अम्लीय वर्षा, ग्लोबल वार्मिग एवं वायु प्रदूषण के परिणामों के बारे में विस्तार से बताया गया। वायु प्रदूषण का प्रभाव सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों, इमारतों आदि पर पड़ता है जिसका उदाहरण ताजमहल है। वायु प्रदूषण का प्रभाव मनुष्यों, पेड़-पौधौं एवं जानवरों पर भी होता है आदि के बारे में प्रकाश डाला गया। राहुल केशवानी, फारेस्ट गार्ड, वन विभाग, डिण्डोरी द्वारा जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण के प्रकार, वायु प्रदूषण के स्त्रोत-प्राकृतिक एवं मानव स्रोत वायु प्रदूषण से वायुमंडल का संतुलन बिगडऩे के बारे में बताकर इनको कम करने के उपायो के बारे मे प्रकाश डाला गया। इस कार्यशाला में स्वच्छता की शपथ विद्यार्थियो, शिक्षकों एवं अतिथियों को प्राचार्य द्वारा दिलाई गई। उक्त कार्यक्रम वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार तथा पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन, भोपाल के सहयोग, एनएस बरकड़े, सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग, के आदेशानुसार आयोजित की गई। उक्त कार्यक्रम में पवन कुमार झारिया, विमला रानी साहू, कामिनी साहू, शिक्षकों एवं हेमसिंह का विशेष योगदान रहा।