पानी की बाल्टी लेकर ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी में चढ़ते हैं स्कूली बच्चे
डिंडोरीPublished: Jan 17, 2019 09:56:46 pm
शासकीय विद्यालय में मजदूरों की तरह लिया जा रहा काम
School children climb into rugged hillside school
करंजिया। अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिये अभिभावक उन्हें स्कूल भेजते हैं लेकिन जिले के ग्रामीण अंचलों में स्कूलों में बच्चों से पढाई की जगह श्रम कराया जा रहा है। स्कूलों के प्रति बच्चों में रूझान बढाने के लिये तमाम तरह की योजनायें संचालित हैं इसके साथ ही नि:शुल्क शिक्षा का भी ढिंढोरा पीटा जाता है लेकिन स्कूलों में पढाई कम बच्चों से श्रम अधिक कराया जा रहा है। जिले के करंजिया विकासखण्ड के ग्राम पंचायत परसेल के नवीन माध्यमिक शाला मोहगांव में बच्चों को शिक्षित करने की बजाय बच्चों से पानी भरवाया जा रहा है। स्टाफ के लिये पानी की व्यवस्था करना बच्चों की जिम्मेदारी है। नवीन माध्यमिक शाला मोहगांव पहुंचने से पहले ही यहां बच्चे अपने कांधे पर लकड़ी के सहारे भारी भरकम पानी की बाल्टी ढोते देखे जा सकते है।ं यह यहां की रोजाना की तस्वीर है। गांव में यह स्कूल टीले पर बनाया गया है जहां पहुंचने के लिये ऊबड-खाबड रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। स्कूल से काफी दूर निचली जगह पर पानी का स्त्रोत है जहां से बच्चों को रोजाना शिक्षकीय स्टाफ के लिये पानी भरना पडता है। पानी ढो रहे बच्चों से जब इस संबंध में पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल में कोई कर्मचारी नहीं है शिक्षक के लिये पानी भरना ही पडता है।
बच्चे ही पिलाते हैं शिक्षकों को पानी
स्कूल की तस्वीर भी कम दिलचस्प नहीं है यहां पर संस्था प्रभारी ओमप्रकाश उइके स्कूल के बाहर धूप का आनंद लेते दिखाई दिये जैसे ही बच्चे यहां पहुंचे तुरंत शिक्षक का फरमान जारी हुआ कि गिलास धोकर उन्हें पानी दें। प्रभारी ने बताया कि स्कूल में अगर कर्मचारी नहीं हैं तो बच्चों को काम करना ही पडेगा। इस दौरान जैसे ही शिक्षक को आभास हुआ कि जानकारी ले रहे हैं तो उन्होंने तत्काल रंग बदला और कहा कि उनकी जानकारी के बगैर बच्चे पानी लेने चले गए। आनन फानन में शिक्षक द्वारा बच्चों को फटकार लगाई गई ताकि शिक्षक की करतूत बच्चे और बयां न कर सकें और बच्चे डर कर कक्षा मे बैठे रहें ।
जांच कर कार्रवाई करेंगे
पूरे मसले पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मदन सिंह परस्ते ने स्टाफ द्वारा किए गए व्यवहार को निंदनीय बताया। अपनी मजबूरी बताते हुये उन्होंने कहा कि स्कूल गांव से दूर टीले मे बना हुआ है स्कूल मे क्या हो रहा है इसकी जानकारी किसी को नही लग पाती है। उन्होने कहा की स्कूल से बच्चे शिक्षक के बिना अनुमति कैसे जा सकते है जब डिब्बा लेकर निकले होंगे तो शिक्षक कैसे कह सकते है कि उन्हे जानकारी नही थी या उन्होने नही देखा। बीईओ ने कहा की इस पर जांच कर कार्यवाही की जायेगी। कुल मिलाकर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी का कथन भी रटा रटाया व पल्ला झाडऩे वाला ही रहा।