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कच्ची सड़क से आवागमन करते हैं स्कूली बच्चे

locationडिंडोरीPublished: Aug 19, 2019 05:43:28 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

सड़क निर्माण में बाधक बन रही पट्टे की जमीन

School children move through the rough road

कच्ची सड़क से आवागमन करते हैं स्कूली बच्चे

गोरखपुर. करंजिया विखं के अंतर्गत ग्रापं मानिकपुर के बसाहट गांव बरटोला के 200 आबादी के 30 परिवार के बाशिंदे मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए कच्चे ऊबड़-खाबड़ कीचड़ वाले रास्ते से आवागमन करने मजबूर हैं।
बारिश के साथ ही इस सड़क की सूरत बदल गई हैं। आलम यह हैं कि मार्ग में बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं कुछ स्थानों पर मार्ग में झाडयि़ां उग आई हैं तो कहीं पर दलदल जैसी स्थिति बन गई हैं जहां से पैदल पार करना भी मुश्किल होता हैं। बावजूद इसके दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण ग्रामीण इस मार्ग से आवागमन करने के लिए मजबूर हैं। जानकारी के मुताबिक लगभग दस वर्ष पूर्व तत्कालीन पंचायत प्रतिनिधि कर्मचारी ने शासन के लाखों रुपए खर्च करते हुए इस मार्ग का समतलीकरण कराया था। लेकिन वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि ने बताया कि मानिकपुर गांव के आखिरी छोर घाट के पास से बरटोला बसाहट तक के मुहाने पर कुछ स्थानों में किसानों की पट्टे वाली जमीन मार्ग में पड़ती हैं। जब तक किसान नियमानुसार जमीन पंचायत को नहीं दे देते तब तक इस मार्ग का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। गौरतलब हैं कि फिर तत्कालीन सरपंच ने कैसे इस मार्ग पर समतलीकरण कार्य करवाया हैं। जबकि पट्टे वाली जमीन तब भी थी और आज भी हैं ये जांच का विषय हैं। यहीं कारण हैं कि आजू-बाजू के खेत मालिकों ने अपने अपने हिस्से की जमीन पर मार्ग के बीचों-बीच तक मिट्टी चढ़ाकर मेढ़ का आकार दे दिया हैं।
एक ही मार्ग
आवागमन की समस्या से जूझ रहे बरटोला के ग्रामीण थानसिंह धुर्वे, मोहर सिंह पन्द्राम ने बताया कि यह हम लोगों को मुख्य मार्ग से जोडऩे वाला एक ही मार्ग हैं। टोला वासियों के अलावा किसान, स्कूली छात्र आने-जाने के लिए इसी सड़क पर निर्भर हैं। बावजूद इसके किसी को इसकी फिक्र नहीं है। कच्चा मार्ग होने के कारण जरा सी बरसात में यह मार्ग न केवल कीचड़ में तब्दील हो जाता बल्कि सामान्य मौसम में भी ऊबड़ खाबड़ के हालात बने रहते हैं। बरसात के दिनों में हुई बारिश की वजह से कई स्थानों पर जलभराव जैसी नौबत हैं। सबसे ज्यादा मुसीबत स्कूल आने-जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को होती हैं । पांचवी कक्षा के छात्र दीपक, दिनेश मरावी ने कहा कि स्कूल जाते समय यहां से गुजरने के दौरान वो इस बारिश के सीजन में कीचड़ में फिसल कर अनेकों बार गिर चुके हैं। यूनीफार्म खराब हो जाता हैं जब ऐसे ही स्कूल पहुंचते हैं तो शिक्षक नाराज होते हुए घर वापस जाने के लिए कहते हैं। छठवीं कक्षा की छात्रा राधिका के साथ ममता मरावी, सिवन्तरी मरावी ने बताया कि जब अधिक बारिश होती हैं तो मार्ग चलने लायक नहीं बचता मार्ग में पानी जमा हो जाता हैं। दलदल की वजह से हम लोग स्कूल नहीं जा पाते हमारी पढ़ाई प्रभावित हो जाती हैं। इस विषय में अभिभावक सुरेश मरावी ने कहा कि बच्चों को घर से नहला धुला कर साफ सुथरे कपड़े गणवेश पहनाकर स्कूल के लिए भेजा जाता हैं लेकिन बच्चे जब कीचडय़ुक्त मार्ग से गुजरते हैं तो कपड़े जूते वगैरह खराब हो जाते हैं।
चार माह का वनवास
ग्रामीण भंवर सिंह ने बताया यह कोई नई समस्या नहीं हैं जबसे यहां बसाहटद हुई हैं तभी से हर वर्ष बरसात के मौसम में ऐसे हालात सामने आते हैं। हमारे लिए तो यह चार माह का वनवास जैसा हैं ना साइकिल चल पाती हैं ना दोपहिया वाहन पैदल भी बचते बचाते चलना पड़ता हैं। यदि इस बीच कोई ग्रामीण बीमार हो जाएं तो गांव तक एम्बुलेंस नहीं आ पाती। मुख्य मार्ग तक पहुंचने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। रात में इस मार्ग से आवागमन करना जोखिम भरा होता हैं। बरसाती कीड़े मकोड़े के साथ जहरीले जीव जंतुओं का डर हमेशा बना रहता हैं। कहा जाता हैं कि गांव गांव विकास हो रहा हैं लेकिन ये कैसा विकास हैं कि आजादी के सात दशक बाद भी ग्रामीण क्षेत्र में आने जाने के लिए सही से एक अच्छा मार्ग भी नहीं हैं।
इनका कहना है
पंचायत के द्वारा मार्ग में निर्माण कार्य कराया जाना था लेकिन जब पता चला कि मार्ग पट्टे की जमीन में हैं तो ऊपर से स्वीकृति नहीं मिली। यदि पट्टेधारी लोग शासन के नियम के मुताबिक जमीन दे दें तो निर्माण कार्य के लिए प्रस्ताव पारित कर प्रयास किया जाएगा। पूर्व में इस मार्ग में कैसे काम कराया गया इसकी जानकारी नहीं हैं ।
सरस्वती मरकाम, सरपंच ग्राम पंचायत मानिकपुर

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