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डिंडोरी

बच्चों की खुराक में डाका डाल रहे समूह, पानी की तरह बनती है सब्जी

कई बार परोसा गुणवत्ताविहीन सब्जी

डिंडोरीJan 22, 2019 / 07:34 pm

shubham singh

Self help groups making poor food

Self help groups making poor food

डिंडोरी/करंजिया। शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने, बच्चों को स्वस्थ रखने व स्कूलों के प्रति बच्चों का रूझान बढाने के लिए सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे है, बच्चों को स्कूल मे लाने एवं स्वास्थ्य के प्रति रूचिकर योजना मध्यान्ह भोजन का संचालन किया जा रहा है, बच्चों के प्रति यह योजना अहम भूमिका रखती है । बच्चों को शिक्षा के लिए प्राथमिक शालाओं एवं माध्यमिक शालाओं मे मिड डे मील का संचालन स्व. सहायता समूह के माध्यम से कराया जा रहा है लेकिन करंजिया विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम तरवरटोला के प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला में संगम स्व.सहायता समूह मांझेटोला द्वारा बच्चों को पौष्टिक भोजन न देते हुए समूह के द्वारा निम्न स्तर का भोजन परोसा जा रहा है । हालत यह है कि बच्चों को पानी से भरी सब्जी एवं चावल परोसा जा रहा है । शिक्षकों एवं ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि स्व.सहायता समूह के द्वारा निरंतर आलू की सब्जी एवं चावल दिया जा रहा है कई माह से दाल तो बनी ही नही है । शिक्षकों ने शिकायत करते हुए बताया कि स्व.सहायता समूह के द्वारा बहुत ही घटिया खाना बच्चों को परोसा जा रहा है सब्जी की गुणवत्ता बद से बदतर है सब्जी के नाम पर पानी की तरी परोसी जाती है आलू की मात्रा नाम मात्र के लिए ही रहती है । वही कुछ दिन पहले बिना बघरी सब्जी बच्चों को दी गई थी बच्चे भी मजबूरी मे भोजन करते है शिक्षक ने कहा कि वन ग्राम एवं अभिभावकों की माली हालत यहां पर अच्छी नही है परन्तु उनके घर मे भी इससे अच्छा खाना बनता होगा । शिक्षक ने बताया कि समूह को इस बारे मे कई बार बोला गया परन्तु समूह के द्वारा कोई सुधार नही किया गया । जनशिक्षक एवं अधिकारीयों को इसके बारे मे कई बार मौखिक रूप से शिकायत भी की गई परन्तु कोई भी कार्यवाही नही हुई । प्राथमिक शाला एवं प्राथमि शाला का भोजन एक ही जगह बनता है स्कूल के रसोईया मौके पर उपस्थित थे जब उनसे जानकारी ली गई तो उन्होने भी स्व.सहायता समूह की मनमानी एवं राषन उपलब्ध न कराने की बात कही । जानकारी देते हुए मोहवती एवं दयालिन बाई ने बताया की समूह के अध्यक्ष के द्वारा सब्जी नही दी जाती है उनके घर मांझेटोला जानकर प्रतिदिन राशन लाना पडता है समूह के द्वारा प्रतिदिन मात्र 1 किलो 500 ग्राम आलू दिया जाता है जिसमे सब्जी बनाने को कहा जाता है न मसाला दिया जाता है और न ही प्याज टमाटर लेहसुन ऐसे मे सब्जी बच्चों को पुजाने के लिए ज्यादा पानी डालना पडता है मसाला भी पर्याप्त नही होने से सब्जी अच्छी नही बनती है । प्राथमिक शाला तरवर टोला मे 57 एवं माध्यमिक शाला मे 43 बच्चो की दर्ज संख्या है । प्रतिदिन दोनो स्कूलो को मिलाकर कम से कम 80 बच्चों को भोजन कराना पडता है । रसोईयो ने जानकारी देते हुए बताया की 80 बच्चों के बीच समूह के द्वारा 1 किलो 500 ग्राम आलू एवं 12 किलो चावल दिया जाता है । हम भी इसी गांव के है बच्चो को इस तरह खाना देना हमे भी अच्छा नही लगता परन्तु समूह की मनमानी के चलते हम भी मजबूर है । स्कूल में स्व. सहायता समूहो की नाराजगी इस बात को लेकर है की मीनू के आधार पर भोजन देने पर उन्हे घर से पैसा लगाना पड जायेगा । शासन के द्वारा कम पैसा दिया जा रहा है परन्तु मीनू को छोड दिया जाये तो समूह की यह जिम्मेदारी तो बनती है कि बच्चों समूह द्वारा जो भी भोजन दिया जा रहा है वह वह गुणवत्ता पूर्ण एवं स्वादिष्ट तो हो जिसे बच्चे खाना पसंद करे एवं उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर न पडे परन्तु इसके विपरीत स्व.सहायता समूह के द्वारा गुणवत्ता हीन भोजन परोस कार स्वास्थ्य के साथ खिडवाड कर योजना का पलीता निकालने में लगे हुए है ।

जिम्मेदारो के द्वारा कोई ध्यान नही दिया जा रहा है
शिक्षा विभाग के द्वारा फरमान जारी कर निर्देशित किया गया था की बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन को अच्छी तरह से परखने के बाद ही उन्हे परोसा जाये परन्तु जिम्मेदारो के द्वारा इस ओर कोई भी ध्यान नही दिया जा रहा है आये दिन मध्यान भोजन की गुणवत्ता एवं प्रतिदिन मध्यान भोजन न मिलने की शिकायतें एवं खबर आते रहती है । परन्तु ब्लाक के इस ओर कोई भी ध्यान नही दिया जा रहा है । गौरतलब है कि ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रो मे संचालित सरकारी स्कूलो में अधिकारियों एवं जनशिक्षको के द्वारा निरीक्षण नही किया जा रहा है जिसके चलते स्व सहायता समूह छात्र छात्राओं को घटिया स्तर का भोजन परोसते नजर आते है । निरीक्षण मे भोजन के गुणवत्ता के मामले अधिकारीयो को प्रतिदिन नजर आयेंगे जिसे बच्चे ग्रहण कर रहे है । वही स्व.सहायता समूह इसका फायदा उठाते हुए मेन्यू के आधार पर भुगतान बसूल रहे है ।

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