चिल्लर बना मुसीबत, नोटबंदी के बाद से बाजार में सिक्कों की आई बाढ़
डिंडोरी
Published: February 20, 2022 02:13:05 pm
शहपुरा. नोटबंदी के बाद से बाजार में आई चिल्लर की बाढ़ सी आ गई है। बैकों ने चिल्लर से निजात दिलाने के लिए नोटों के बजाए चिल्लर का वितरण किया। अब यही चिल्लर बैंकों और दुकानदारों के मुसीबत बन गई है। हालात ये हैं कि प्रतिष्ठानों में हजारों रुपए की चिल्लर भरी पड़े हैं। ऐसे में चिल्लर लेकर पहुंचने वाले ग्राहकों को दुकानदार सामान देने में आनाकानी कर रहे हैं। चिल्लर लेने से इंकार तो नहीं करते, लेकिन कहते कि सामान खत्म हो गया आगे की दुकान से जाकर ले लो। ग्राहक जब अगली दुकान पहुंचता है तो वहां भी यही सुनने को मिलता है। इस तरह ग्राहक बगैर सामान लिए घर लौट आता है। एक ग्राहक ने बताया कि वह एक पान दुकान पर पाउच खरीदने गया तो उसने चिल्लर के रूप में 22 रुपए की चिल्लर दे दी। दुकानदार ने चिल्लर देखकर पाउच देने से इंकार कर दिया। दुकानदार ने कहा पहले से काउंटर में चिल्लर भरी है। इस तरह दुकानदार ग्राहकों से चिल्लर नहीं ले रहे हैं। ऐसे में आम परिवारों को सबसे अधिक दिक्कत हो रही है। मजदूरी के दौरान उन्हें भुगतान के रूप में नोटों के साथ चिल्लर भी दी जा रही है।
बैंकों ने भी चिल्लर लेने से किया मना
इधर बैंकों में भी चिल्लर के बुरे हाल है। चिल्लर देखकर काउंटर पर बैठे कर्मचारी खाता धारकों को लौटा देते हैं। उन्हें यही बात कही जाती कि चिल्लर के बजाए नोट लेकर आएं। कर्मचारियों का कहना है कि चिल्लर गिनने में बहुत अधिक समस्या आती है। ऐसे में काउंटरों में कतारें लंबी होते जाती हैं। इसीलिए चिल्लर नहीं ले रहे हैं।
इनका कहना है
बैंक और दुकानदार दोनों चिल्लर लेने के लिए इंकार कर रहे हैं। घर में चिल्लर इक_ी होते जा रही है। अब चिल्लर लेकर कहां जाएं।
-शंकर सिंह, ग्राम सुहगी
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