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फूल सी बेटियां भुगत रही शूल सी अनदेखी

locationडिंडोरीPublished: Nov 06, 2016 04:57:00 pm

Submitted by:

Abhishek ojha

गंगापुरसिटी. बालिकाओं की बेहतर शिक्षण व्यवस्था के लिए सरकार ने छात्रावास तो खोल दिए लेकिन उनमें व्यवस्थाओं और सुविधाओं की सुध लेने वाला कोई नहीं। छात्रावास चाहे शिक्षा विभाग का हो या समाज कल्याण विभाग का सभी में अव्यवस्थाओं का आलम है।

गंगापुरसिटी. बालिकाओं की बेहतर शिक्षण व्यवस्था के लिए सरकार ने छात्रावास तो खोल दिए लेकिन उनमें व्यवस्थाओं और सुविधाओं की सुध लेने वाला कोई नहीं। छात्रावास चाहे शिक्षा विभाग का हो या समाज कल्याण विभाग का सभी में अव्यवस्थाओं का आलम है। कहीं पानी की कमी है तो कहीं शौचालय बदहाल हैं। अध्यापन के लिए व्याख्याताओं का टोटा है और अन्य कामकाज के लिए कार्मिक नहीं। इतना ही नहीं सर्दी से बचाव के लिए बालिकाओं को पर्याप्त बिस्तर तक उपलब्ध नहीं और गीजर के अभाव में वे ठंडे पानी से नहाने को मजबूर हैं। एक छात्रावास की लैब पर ताला लटका है। अव्यवस्था और असुविधाओं के हालातों में संचालित छात्रावासों में बालिकाओं को अध्ययन का बेहतर माहौल मिलने की बात तो दूर रही उल्टे उनको पढ़ाई के लिए लोहे के चने चबाने पढ़ रहे।
त्रस्त हैं बालिकाएं

शिक्षा विभाग की ओर से खानपुर बड़ौदा में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में भी अव्यवस्थाओं का आलम से बालिकाएं त्रस्त हैं। यहां कुल 108 नामांकन है जिनके लिए पांच अध्यापिका, एक वार्डन की नियुक्ति की हुई है। छात्रावास में पानी की किल्लत और सोने के लिए पर्याप्त बिस्तर नहीं होने से बालिकाएं व्यवस्थाओं को कोसती हैं।
गद्दे-रजाई भी कम

इस छात्रावास में बालिकाओं के लिए सर्दी से बचाव के पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं। यहां तीन साल पहले 40 रजाई-गद््दे बनवाए थे। बालिकाओं के नामांकन की संख्या के मुकाबले में ये आधे भी नहीं है। अध्यापिका मंतो मीणा ने बताया कि नए रजाई-गद््दे बनवाने के लिए कई बार शिक्षा अधिकारियों को अवगत कराया है लेकिन और गद्दे- रजाई की स्वीकृति नहीं मिल रही।
नहाती ठंडे पानी से 

हाल ये हैं कि छात्रावास की छत पर रखी हुई पानी की टंकी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। वैसे नल में पानी नहीं आने से और टंकी रीती हैं। कपड़े धोने, नहाने व पीने के लिए टैंक बना है। इसमें रोज एक टैंकर पानी भरकर पानी का उपयोग किया जाता है। सर्दी में बालिकाओं को गर्म पानी के लिए हीटर नहीं होने से उनको ठंडे पानी से ही नहाना पड़ता है।
पढऩे-रहने को नहीं हैं पूरे पर्याप्त कमरे

यहां स्थान की कमी की परेशानी बालिकाओं को झेलनी पड़ रही। कुल आठ में से चार शयन कक्ष व तीन क्लास रूम बनाए हुए हैं। एक कक्ष वार्डन का है। स्थान के अभाव के कारण शयन कक्ष के बाहर गैलेरी में टूटी टेबल व कुर्सियां पड़ी हंै। इससे बालिकाओं को गैलरी से आने-जाने में दिक्कत होती है। इतना ही नहीं खेल मैदान के अभाव में यहां रहने वाली बालिकाएं खेल ही नहीं पाती हैं। 
खानुपर बड़ौदा में संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास के आसपास पानी खारा है। ऐसे में टेंकर डाले जा रहे है। रजाई-गद््दे कम है तो शीघ्र नए खरीदे जाएंगे। खेल मैदान के लिए प्रस्ताव आवंटन की प्रक्रिया में है।
मनमोहन दाधीच, एडीपीसी, रमसा

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