डिंडोरी

सुहाग की दीर्घायु और सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत करेंगी महिलाएं

करवा चौथ को लेकर महिलाओं ने की तैयारी

डिंडोरीOct 24, 2021 / 12:07 pm

shubham singh

Women will observe nirjala fast for the longevity and good fortune of the suhaag

डिंडोरी. सुहाग की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के लिए रविवार को महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। करवा चौथ को लेकर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों में रौनक नजर आई। कोरोनाकाल के दो साल बाद उत्साह के साथ त्योहार मनाने के लिए सुहागिनों ने तैयारी कर ली है। यह पर्व पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक है। व्रती महिलाएं रात को चांद दर्शन और पूजा के बाद व्रत तोड़ती हैं। मान्यता है कि चंद्र दर्शन और चांद को अर्घ्य देने से पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। करवा चौथ के दिन चांद निकलने का समय हर जगह पर अलग-अलग होता है। कुछ स्थानों पर चांद जल्दी निकल आता है, तो कहीं पर चंद्रदर्शन देर से होते हैं। करवा चौथ व्रत इस साल विशेष योग में मनाया जा रहा है। नगर के वैदिक पुरोहित व ज्योतिषाचार्य पं. वेदशरण गौतम ने बताया कि करवा चौथ पर चंद्रमा अपने प्रिय नक्षत्र रोहिणी में उदित होंगे। ऐसा संयोग करीब पांच साल बाद बन रहा है। करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 55 मिनट से लगभग 9 बजे तक है। जिले में महिलाएं करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान बताया गया है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय के बाद ही महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती है।
प्रचलित हैं कथाएं
व्रत को लेकर कथा है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया। परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुन: प्राप्त हो गया।

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