डिंडोरीPublished: Nov 25, 2021 01:02:45 pm
shubham singh
मनरेगा सहित अन्य रोजगार मूलक योजनाओं के बाद भी नहीं लग रहा विराम
Workers migrating to another state in search of employment
बजाग. सरकार और प्रशासन के लाख दावों के बाद भी मुख्यालय बजाग क्षेत्र अंतर्गत क्षेत्रीय मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की तरफ रुख करने मजबूर है। स्थानीय स्तर पर रोजगार और वाजिब मजदूरी न मिलने की वजह से यह ग्रामीण दूसरे राज्यों जैसे केरल, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य प्रांतों में काम करने जाने मजबूर हैं। जबकि अभी तक क्षेत्र के हजारों कामगार मजदूर विक्रमपुर, बिलाई खार, सारंगपुर, अंगई, भूरसी, तरच, मिडली, खमहेरा, पिपरिया, भानपुर के साथ-साथ अन्य ग्रामों से ग्रामीणों ने दूसरे राज्यों के लिए पलायन शुरु कर दिया है। प्रदेश सरकार लाख घोषणाएं कर रही है पर उन घोषणाओं का जमीनी स्तर पर कोई लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा।
रोजी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में कर रहे गमन
मजदूर वर्ग लाभ से वंचित होने के कारण अपनी रोजी-रोटी और पेट पालने के लिए दूसरे राज्यों में गमन कर रहे हैं। यह कोई प्रारंभिक अवस्था नहीं है पूर्व में भी क्षेत्र के मजदूर लगातार दूसरे राज्यों में जा रहे हैं तथा अभी भी अन्य मजदूर जाने को मजबूर हैं। इनकी मजबूरी का फायदा क्षेत्र में सक्रिय कई लोग उठा रहे हैं। जिनका सीधा संपर्क कंपनियों या उनकी मालिकों से है। वह कमीशन तौर पर मजदूरों को ले जाकर अपना कमीशन पा जाते हैं। यह लोग मजदूरों को काम की पूर्ति के लिए दूसरे राज्यों में भेजते हैं। जिससे कुछ मजदूर शोषण का भी शिकार होते हैं तथा कुछ मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पाता है। जिले में मनरेगा के तहत निर्माण कार्य सहित अन्य रोजगार मूलक कार्य कराकर रोजगार दिलाने के दावे किए जा रहे हैं। इसके बाद भी ग्रामीण पलायन कर रहे हैं।
यह भी है पलायन की वजह
सबसे बड़ा सवाल यह है कि या तो मनरेगा से पर्याप्त रोजगार मुहैया नहीं हो रहा है या फिर काम करने वालों को पर्याप्त और समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते लोग मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में गमन कर रहे हैं। क्षेत्र में आय का एकमात्र साधन कृषि है और कृषि कार्य के अलावा शासकीय क्षेत्रों से ही लोगों को यहां रोजगार उपलब्ध हो पाता है। प्रशासन रोजगार के मुख्य स्रोत बड़ी-बड़ी फैक्ट्री कंपनियों को खोलने में असहज महसूस कर रही है। जिसका सीधा असर गरीब और मजदूर वर्ग पर पड़ रहा है। कुछ मजदूर जिनका कोई पता भी नहीं चल पाता उनके साथ कोई घटना घट जाए तो उनके परिवार वालों को उनका चेहरा भी देखना नसीब नहीं होता जैसे कि कुछ ही दिनों पहले बजाग पड़रिया के निवासी तिहारी यादव की मौत मुंबई में हुई। जिसकी जानकारी उसके परिवार जनों को थाने के माध्यम से मिली पर गरीबी के कारण वह वहां नहीं पहुंच पाए। ऐसे ही कई गरीब मजदूर हैं जो कि दूसरे राज्य में पलायन करते हैं और ऐसी कोई घटना घट जाती है जिसके कारण उनकी मौत भी हो जाती है और परिवार के लोग चेहरा देखने के लिए तरसते रहते हैं।