डिंडोरीPublished: Jun 20, 2019 10:13:18 pm
Rajkumar yadav
जिला मुख्यालय में जल्द ही प्रारंभ होगा प्रदेश में पहला आयुर्वेद शोध एवं विस्तार केन्द्र
Yoga meditation center being developed with herb garden
डिंडोरी। आगामी कुछ दिनों में जिला मुख्यालय में पुरातन योग, आयुर्वेद एवं ऋषि विज्ञान चिकित्सा केन्द्र की स्थापना हो जाएगी। इसके लिए पिछले दो वर्षों से कार्य चल रहा है जो अब अपने अंतिम चरण में हैं। जिले के समाजसेवी बद्री प्रसाद बिलैया जिला मुख्यालय में केन्द्र के निर्माण में हर संभव मदद कर रहे हैं। बताया गया कि जुलाई माह से इस केन्द्र की शुरूआत हो जाएगी। जिसके बाद यहां पर कैंसर, हार्ट डिसीज, ट्यूमर का प्राथमिकता से इलाज किया जायेगा। इसके साथ ही हर तरह के रोगों का आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार किया जायेगा। 9 एकड में फैले इस केन्द्र में जडी बूटी उद्यान के साथ योग, ध्यान के केन्द्र विकसित किए गऐ हैं जहां पर विभिन्न विधाओं के विशेषज्ञ अपनी सेवायें देंगे। केन्द्र की शुरूआत करने वाले बद्री प्रसाद बिलैया का कहना है कि उनके मन में बहुत पहले से इस तरह के केन्द्र का विचार था जिससे लोकहित जुडा हो। केन्द्र के शुरू होने के बाद जहां प्राचीन पद्धति से उपचार संभव हो सकेगा वहीं जडी बूटी के संरक्षण की दिशा में भी कार्य होगा।
भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से उपचार
मैकलसुता ऋषि विज्ञान चिकित्सा केंद्र में समस्त भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के द्वारा चिकित्सा सेवा व शिक्षण प्रशिक्षण होगा। इसमें आयुर्वेद, योग विज्ञान, प्राण विज्ञान, प्राणायाम विज्ञान, यज्ञ विज्ञान, अग्निहोत्र विज्ञान, मुद्रा विज्ञान, स्वर विज्ञान, सूर्य विज्ञान, रस चिकित्सा, आहार विज्ञान, वन औषधि विज्ञान, तत्व विज्ञान, एक्यूप्रेसर, मसाज विज्ञान, उपवास विज्ञान, गो विज्ञान, शिवांबु, मानस चिकित्सा, रस चिकित्सा, आकृति विज्ञान, संगीत विज्ञान, चुंबक विज्ञान, नाभि (केंद्रक)विज्ञान, उभाड़ (उपद्रव) विज्ञान, शोधन विज्ञान, रोग विज्ञान, प्राकृतिक चिकित्सा, स्वदेशी चिकित्सा, मंत्र विज्ञान, ध्यान विज्ञान, उपवास विज्ञान व इलेक्ट्रो मेैगनेटिक विज्ञान तथा और भी बहुत कुछ होगा इस केन्द्र का लक्ष्य ऋषियों के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना, ऋषियों के ज्ञान पर जमी बाजारवाद की धूल को हटाकर मानवता को स्वस्थ, समृद्ध व शक्तिशाली बनाना ,मानवता को अज्ञानता के नाग फांस से मुक्त करना है।
मरीजों के लिये आवासीय व्यवस्था
इस केन्द्र में विभिन्न रोगों से ग्रसित मरीजों के लिये आवासीय व्यवस्था भी होगी, 10-10 दिन के विशेष शिविरों में रोगों का उपचार किया जायेगा। केन्द्र के मार्गदर्शक राजकुमार शर्मा के अनुसार केन्द्र में सेवाभाव से आने वाले विशेेषज्ञों से चर्चा हो चुकी है जो यहां पर रहकर पीडित मानवता की सेवा करेंगे। उन्होंने बताया कि केन्द्र में आने वाले हर व्यक्ति को आयुर्वेद, योग की जानकारी देते हुये उन्हें लाभांवित करना है साथ ही उन्हें जानकार भी बनाना है ताकि वह इन विधाओं का प्रचार प्रसार भी कर सकें।
वृहद् योजना के तहत हो रहा कार्य
इस केन्द्र के निर्माण के पीछे वृहद् उद्देश्य है। आज के दौर में एलोपैथी उपचार में मरीज लुट रहे हैं जबकि विभिन्न बीमारियों का कारण व्यक्ति स्वयं ही है और उसके आसपास ही उपचार भी मौजूद है लेकिन जानकारी के अभाव में एलौपैथ की ओर जाने की मजबूरी होती है। लिहाजा केन्द्र में जहां असाध्य रोगों का उपचार होगा वहीं वैयक्तिक विकास की गतिविधियां भी संचालित की जाएंगी। इसके साथ ही अलग अलग विधाओं से उपचार के लिये अलग अलग डिपार्टमेंट बनाये गये हैं।
विशेष है लाईब्रेरी
केन्द्र के निर्माण के साथ ही यहां पर विशाल लाईब्रेरी भी संचालित की जावेगी। जिसके लिये उपयोगी पुस्तकों का संग्रह कर रखा गया है। राजकुमार शर्मा ने बताया कि इस लाईब्रेरी में विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट पुस्तकों का संग्रह किया गया है जो सभी के लिये उपयोगी है। इस लाईब्रेरी के लिये सामग्री का चयन बहुत बारीकी से किया गया है जो सभी आयु वर्गो के लिये उपयोगी है।
जानकारों की देखरेख में चल रहा कार्य
केन्द्र के निर्माण में जहां बद्री प्रसाद बिलैया निरंतर अपनी निगाह रख इसमें हर तरह का सहयोग कर रहे हैं। वहीं पिछले एक वर्ष से यहां उडीसा प्रांत के वैद्य मनोरंजन अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं। इसी तरह राजकुमार शर्मा, आयुर्वेद के जानकार ऋषिकेश से आये प्रमोद कुमार वात्सल्य, कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे शुभेन्दु महापात्रा अपना पूरा समय केन्द्र के निर्माण में दे रहे हैं। केन्द्र का निर्माण में छोटी से छोटी बातों का ध्यान रखा जा रहा है।
योग और ध्यान के पर विशेष महत्व
ठस केन्द्र में जहां आयुर्वेद व अन्य भारतीय पुरातन पद्धतियों से उपचार को प्राथमिकता दी जावेगी वहीं योग और ध्यान के लिये विशेष समय निर्धारित किया जायेगा। राजकुमार शर्मा ने बताया कि योग व ध्यान के द्वारा बहुत सी बीमारियों को जड से समाप्त किया जा सकता है साथ ही नियमित योग से बीमारियों की संभावना को ही समाप्त किया जा सकता है इसलिये केन्द्र में योग को विशेष प्राथमिकता दी जावेगी।
— मेरे मन में लोकहित से जुडे कार्य करने की पूर्व से इच्छा रही है। इस तरह के केन्द्र निर्माण की इच्छा हुई। मानवसेवा के लिये यह कार्य शुरू किया है। केन्द्र पूरी तरह जनसेवा के लिये रहेगा इसका कोई व्यवसायिक उपयोग नहीं रहेगा। यहां जडी बूटी अध्ययन केन्द्र, शोध और विस्तार होगा। इस पुनीत कार्य में सहयोग के लिये विशेषज्ञों ने भी सहमति दी है जो भी सेवाभाव से यहां आना चाहे उसका स्वागत है। इसे प्रारंभ करने स्थिति में हैं जो भी आवश्यकता यहां पर महसूस होगी उनकी पूर्ति के हर संभव प्रयास किये जायेंगे।
बद्री प्रसाद बिलैया, केन्द्र के संरक्षक व प्रणेता