भ्रम : इलाज के लिए दवा ले रहे हैं तो खानपान व एक्सरसाइज जरूरी नहीं हैं।
सच: यह तथ्य गलत है क्योंकि दवाओं के बावजूद नियमित व्यायाम व संतुलित भोजन रोग को कम करने में 20-30% भूमिका निभाते हैं।
भ्रम: रोग की दवा व इंसुलिन वजन बढ़ाते हैं।
सच: इलाज के लिए पहले से चल रही कुछ तरह दवाओं व इंसुलिन से वजन बढ़ता है लेकिन नई दवाओं व इंसुलिन से शुगर कंट्रोल होने के साथ वजन भी नियंत्रित रहता है।
भ्रम: स्वस्थ व्यक्ति ज्यादा मीठा खाए तो उसे डायबिटीज तय है।
सच: जब तक पाचन व इंसुलिन तंत्र सही कार्य कर रहे हैं तब तक मीठा खा सकते हैं। लेकिन लगातार अधिक मीठी व कैलोरी वाली चीजें खाने से वजन बढ़ता है जो दोनों तंत्र पर दबाव बढ़ाकर इनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करने लगते हैं और डायबिटीज को जन्म देते हैं।
भ्रम: कई बार मरीज थोड़ी शुगर बढऩे के बाद भी रोग पर काबू पाने के लिए जोर नहीं देते।
सच: यह गलत है, शुगर का थोड़ा-थोड़ा बढऩा भी किडनी, हृदय, नसों, आंखों की कोशिकाओं को धीरे-धीरे नष्ट करने लगता है। ऐसे में यदि एक बार ये अंग खराब हो जाएं तो इनके दोबारा ठीक होने की आशंका न के बराबर रहती है।
भ्रम: टाइप-2 डायबिटीज 45-50 वर्ष के बाद होती है, 30 की उम्र के बाद सेहत पर ध्यान देंगे।
सच: पहले के मुकाबले डायबिटीज अब 20-25 की उम्र में युवाओं में होने लगी है जिसकी वजह खराब जीवनशैली व असंतुलित खानपान है।