होम्योपैथी छोटी-मोटी बीमारियों में ही नहीं बल्कि असाध्य रोगों में भी यह पद्धति कारगर है।
homeopathy
आध्यात्मिक नवशक्ति से भी परिपूर्ण होता है होम्योपैथी, बीमारियों को दूर करने की चिकित्सा पद्धति ही नहीं, इससे मनुष्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक नवशक्ति से भी परिपूर्ण होता है। दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में इस पद्धति में बीमारी का जड़ से इलाज होता है।कीटाणुओं का नाश होम्योपैथी पद्धति में दवा शरीर में पहुंचकर प्राकृतिक विषाणुओं को नष्ट कर देती है। ये दवाएं खुद को शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के अनुकूल कर लेती है। होम्योपैथी दवाएं शरीर में निष्क्रिय ग्रंथियों के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते हुए उन्हें सक्रिय करती हैं। इससे संबंधित बीमारी का हमेशा के लिए इलाज तो होता ही है फिर से वह बीमारी होने की स्थिति भी नहीं के बराबर रह जाती है। इस पद्धति में लक्षणों के आधार पर मरीजों को दवाएं दी जाती हैं। जड़ से मिटाती है रोग होम्योपैथी रोग के असल कारण की जड़ में जाती है। यह रोग की प्रवृत्ति को व्यक्ति की शारीरिक संरचना, उसकी आदतों और व्यवहार से जोड़कर देखती है। इसीलिए इस पद्धति में किसी एक जैसे रोग के लिए एक ही मरीज को अलग-अलग दवा उसकी शारीरिक प्रवृत्ति के हिसाब से दी जाती है। आधे घंटे का रखें ध्यान खास बात है कि होम्योपैथी में दवा का पूरा लाभ लेने के लिए दवा लेने से कम से कम आधा घंटे पहले और आधे घंटे बाद में कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। होम्यौपैथी दवा को लेने के साथ एलोपैथी की दवाओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। रोगों में रामबाण यह पद्धति बगैर किसी दुष्प्रभाव के कई रोगों का इलाज होम्योपैथी दवाओं से संभव है। जुकाम हो तो ब्रायोनिया, एल्यिमसिया, काली बाइक्रोम, एकोनाइट आदि दवाएं रोगी को दी जाती हैं। पुरानी खांसी हो तो संपोजिया, साइक्लामेन, अमोनियम कार्ब, काली कार्ब आदि दवाएं दें। बुखार में एकोनाई, यूपटोरियम पर्क, बेलाडोना दवाएं कारगर रहती हैं। चर्म रोगों में रस्ट टोक्स, कांली-कार्ब, नाईट्रम-मय्योर, क्रोटन-टिम दवा से फायदा मिलता है। दमा रोगियों को बलाटा, अमोनियम कार्ब, आर्सेनिक एल्बम, ब्रोमिन दी जाती है। हालांकि दवा को विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए।