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क्या आवाजें सुनकर बेचैन हो जाते हैं आप ? कहीं आपको भी तो नहीं ये बीमारी

locationजयपुरPublished: Jan 17, 2019 07:10:52 pm

Misophonia – दरअसल यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसे मीजोफोनिया कहते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

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Misophonia – दरअसल यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसे मीजोफोनिया कहते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

कुछ लोगों को किसी भी तरह के शोर से अक्सर चिढ़ होती है। शोर हुआ नहीं कि उन्हें गुस्सा आने लगता है। अपना आपा खोकर वे कई बार आसपास के किसी व्यक्ति या लोगों के साथ मारपीट भी कर बैठते हैं। दरअसल यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसे मीजोफोनिया कहते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

यह है मीजोफोनिया –
यह एक साउंड डिसऑर्डर है। जिसमें मरीज किसी भी प्रकार की आवाज से बेचैन हो उठता है। जरूरी नहीं कि तेज आवाज से ही ऐसा होता हो। इस परेशानी में रोगी को खाना खाते समय आने वाली ‘चप-चप’ या पानी पीने की ‘गट-गट’ की आवाज से भी चिढ़ होती है। बर्तन गिरने, बढ़ई या मिस्त्री की ठक-ठक, जमीन पर कुछ रगड़ने और ट्रैफिक की आवाज भी परेशान करती है।

ऐसे होती है बेचैनी –
ट्रिगर अर्थात् जिस आवाज से समस्या होती है, उसे सुनते ही व्यक्ति काफी अलग तरह का व्यवहार करता है। उसकी सांसें तेज हो जाती हैं, चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। वह अपने हाथ-पैर सिकोड़ने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति उस आवाज से काफी दूर अकेले में चला जाता है और घंटों एकांत में बैठा रहता है या फिर उन आवाजों से परेशान होकर आवाज करने वाले व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है। लेकिन आवाज खत्म होने के कुछ समय बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है।

इलाज व सावधानी –
इस बीमारी के इलाज के लिए मनोचिकित्सक से मिलें। इसका उपचार किसी दवा से नहीं बल्कि बिहेवियरल थैरेपी से किया जाता है। ट्रीटमेंट के साथ-साथ मरीज के घरवालों को भी उसे पूरी तरह से सहयोग करना चाहिए। उसकी इन हरकतों का बिल्कुल भी मजाक न उड़ाएं। इसके अलावा अगर आपको अपने किसी परिजन की ऐसी बीमारी के बारे में पता है तो कोशिश करें कि उसे ऐसी आवाजों का सामना न करना पड़े। अगर काम रोकना संभव न हो तो मरीज को कहीं दूर भेज दें।

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