scriptजोड़ों में दर्द व जकड़न की वजह हो सकती है ये समस्या | Arthritis may cause joint pain and stiffness | Patrika News

जोड़ों में दर्द व जकड़न की वजह हो सकती है ये समस्या

locationजयपुरPublished: May 26, 2019 12:59:12 pm

बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर के किसी भी जोड़ में सूजन, दर्द और जकड़न को आर्थराइटिस कहते हैं।

arthritis-may-cause-joint-pain-and-stiffness

बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर के किसी भी जोड़ में सूजन, दर्द और जकड़न को आर्थराइटिस कहते हैं।

बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर के किसी भी जोड़ में सूजन, दर्द और जकड़न को आर्थराइटिस कहते हैं। इस रोग के कई प्रकार होते हैं जिनमें ओस्टियो, रुमेटॉइड, जुवेनाइल, सोराइटिक आर्थराइटिस बेहद आम हैं। अधिकांश मामलों में इसका कारण बढ़ता वजन और डाइट में पोषक तत्त्वों की कमी सामने आती है। जानते हैं इनके बारे में-

ओस्टियो आर्थराइटिस : यह आमतौर पर होने वाला आर्थराइटिस का प्रकार है। इससे शरीर के छोटे से लेकर बड़े जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं जिसमें हाथ, पैर, कूल्हे, पीठ और घुटने शामिल हैं। अधिकतर महिलाओं में 65 वर्ष की उम्र के बाद इस रोग की आशंका रहती है।
लक्षण : जोड़ों की मांसपेशियों के टूटने व मुलायम हड्डियों के घिसने से सूजन, दर्द और जकडऩ होने लगती है।
कारण : बढ़ती उम्र, मोटापा या किसी प्रकार की चोट प्रमुख हैं।

जुवेनाइल रुमेटॉइड आर्थराइटिस : आमतौर पर 16 या इससे कम उम्र की आयु के बच्चों में ज्यादा होता है।
लक्षण: इसमें मुख्य तीन तरह के लक्षण ज्यादा सामने आते हैं- दर्द, सूजन और अकड़न।
कारण: आनुवांशिकता या किसी प्रकार का संक्रमण इसकी वजह रहती है।

सोराइटिक आर्थराइटिस : सोराइसिस (त्वचा रोग) से पीड़ितों को होता है। इससे शरीर का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है। जिसमें जैसे फिंगरटिप और रीढ़ की हड्डी प्रमुख हैं।
लक्षण: मरीज को जोड़ों में दर्द और सूजन होना।
कारण : आनुवांशिकता

रुमेटॉइड आर्थराइटिस: इसमें दो सौ से अधिक गंभीर ऑटोइम्यून रोगों के कारण रोग प्रतिरोधक तंत्र जोड़ों की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगता है व जोड़ प्रभावित होते हैं।
लक्षण: जोड़ों में टेढ़ापन और आंतरिक अंगों में दर्द। सुबह 30 मिनट से ज्यादा समय तक जोड़ों में जकडऩ, एक से ज्यादा जोड़ों में सूजन।
कारण : ऑटोइम्यून की स्थिति में संक्रमण के कारण यह समस्या होती है।

इलाज : जोड़ों की सूजन व दर्द को कम करने के लिए दवाओं और साथ ही अंगों की बेहतर कार्यप्रणाली के लिए फिजियोथैरेपी की मदद ली जाती है। डिजीज मोडिफाइंग एंटीरुमेटिक ड्रग्स के जरिए प्रारंभिक स्तर पर ही रोग पर नियंत्रण पा सकते हैं।

सावधानियां : पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। मांसपेशियों की मजबूती के लिए कैल्शियम, विटामिन-ए व सी युक्त दूध व दूध से बनी चीजें, राजमा, मूंगफली, बादाम, ब्रॉकली आदि को डाइट में शामिल करें। शराब व धूम्रपान से दूरी बनाएं। जोड़ों की मजबूती के लिए जरूरी विटामिन-डी के लिए कम से कम आधा घंटे धूप में बैठें। वजन को नियंत्रित रखें ताकि जोड़ों पर दबाव न पड़े।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो