scriptगर्भावस्था में बाएं करवट सोने से शिशु को होता ऐसे फायदा | Best sleeping position in pregnancy, know the benefits | Patrika News

गर्भावस्था में बाएं करवट सोने से शिशु को होता ऐसे फायदा

locationजयपुरPublished: Jun 01, 2018 07:18:45 pm

Submitted by:

manish singh

गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

pregnant, sleeping

गर्भावस्था में बाएं करवट सोने से शिशु को होता ऐसे फायदा

गर्भावस्था के दौरान बाएं करवट होकर सोना चाहिए। इससे प्लेसेंटा में प्रचुर मात्रा में ब्लड और दूसरे पोषक तत्त्व जाते हैं। इस दौरान पैरों और घुटनों को मोडकऱ रखना चाहिए और पैरों के बीच में तकिया लगाकर रखना चाहिए। इससे बैक पेन में भी आराम मिलता है। पीठ के बल सोने से पीठ में दर्द के साथ सांस लेने संबंधी समस्या होने के साथ पाचनतंत्र और ब्ल्ड प्रेशर कम होने का खतरा रहता है जिससे गर्भस्थ शिशु को नुकसान हो सकता है। पेट के बल सोने से सांस लेने में तकलीफ होने के साथ उठने और बैठने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

परेशानी को नजरअंदाज न करें

गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। छोटी सी तकलीफ को नजरअंदाज करना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिला को खानपान के साथ आराम पर ध्यान देना चाहिए जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहे। पेट में दर्द और कमजोरी के साथ थकान की तकलीफ होने पर तुंरत डॉक्टर से दिखाना चाहिए। दिन में कम से कम दो घंटे जबकि रात में आठ घंटे की नींद स्वस्थ मां और शिशु के लिए बहुत जरूरी है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत ठीक रहने के साथ मां को भी गर्भावस्था के दौरान कोई परेशानी नहीं होती है।

खानपान में इसका रखें खास खयाल

गर्भवती को अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें दाल, रोटी, चावल, सब्जी के साथ फल, मेवे, गुड़ और गुड़ से बनी चीजें खानी चाहिए। शरीर में आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान देना होगा। कमी अधिक है तो डॉक्टर की राय से आयरन, कैल्शियन की गोली लेनी चाहिए।

गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी

गर्भावस्था में नियमित जांच जरूरी है। इसमें हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर महत्वपूर्ण है। मां का हीमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा तो गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ होगा। हीमोग्लोबिना लेवल बारह से कम नहीं होना चाहिए। महिला को सभी टीके समय पर लगवाने चाहिए। हाई रिस्क प्रेगनेंसी में मां का एचबी कम है। ब्लड प्रेशर असंतुलित है और प्लेसेंटा नीचे की ओर है तो गर्भवती को समय-समय पर हैडॉक्टरी सलाह लेते रहना चाहिए। इसका पता करने के लिए डॉक्टरी सलाह पर सोनोग्राफी जांच बेहद जरूरी है जिससे गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत के बारे में पता चल सके। जरा सी चूक या लापरवाही जच्चा-बच्चा की सेहत को नुकसान हो सकता है।

आयुर्वेद में हर माह के हिसाब से सलाह

आयुर्वेद में गर्भवती के लिए हर माह के हिसाब से दवाओं और खानपान की सलाह दी जाती हैं। फलगृत नाम की दवा का प्रयोग करने से बच्चे का एमनॉटिक फ्लूयड सही रहने के साथ वजन भी अच्छा रहता है। इस दवा के प्रयोग से नियोनेटल मॉर्टेलिटी को कम किया जा सकता । गर्भवती का वजन अधिक है तो उसे इसकी जगह दूसरी दवा देते हैं। इस दवा का प्रयोग बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करना चाहिए। प्लान पे्रग्रेंसी में आयुर्वेद में कई तरह की प्रक्रिया और उपचार हैं जिसके प्रयोग से स्वस्थ और श्रेष्ठ शिशु का जन्म होता है। गर्भावस्था के साथ आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह लेना फायदेमंद होता है।

डॉ. अपर्णा शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ
डॉ. हेतल. एच दवे, आयुर्वेद विशेषज्ञ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो