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तनाव की वजह से हार्मोन्स में बदलाव भी ब्रेन स्ट्रोक की वजह, ये है इलाज

Published: Nov 26, 2017 03:22:41 pm

स्ट्रोक विश्व में होने वाली मृत्यु की दूसरी वजह है। इससे हर साल 55 लाख लोगों की जान जाती है। 44 लाख लोग अपंग होते हैं।

Brain Stroke due to hypertension

Brain Stroke due to hypertension

ब्रेन स्ट्रोक व इसके प्रकार क्या हैं? : स्ट्रोक विश्व में होने वाली मृत्यु की दूसरी वजह है। इससे हर साल 55 लाख लोगों की जान जाती है। 44 लाख लोग अपंग होते हैं। ब्रेन स्ट्रोक में रक्त, ऑक्सीजन व दूसरे पोषक तत्त्वों का प्रवाह दिमाग में बंद हो जाता है जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं। इसके दो प्रकार हैं- इस्कीमिक (दिमाग तक रक्त ले जाने वाली वाहिकाओं में बाधा) व हैमोरेजिक (अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के कारण कमजोर रक्त वाहिकाओं के फटने से रक्त का दिमाग की कोशिकाओं में फैलना)। स्ट्रोक से मृत्यु के मामलों में इस्कीमिक के केस 87 फीसदी होते हैं।


स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर क्या हैं? किसे होती दिक्कत?
हाई ब्लड प्रेशर , धूम्रपान, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल, खराब डाइट, अधिक वजन, हृदय रोग व सिकल सैल एनीमिया अहम हैं। इन्हें नियंत्रित कर रोग पर काबू पा सकते हैं। व्यक्ति की उम्र, स्ट्रोक की पुरानी हिस्ट्री आदि को भी ध्यान में रखते हैं।

इसके लक्षण क्या हैं?
रोग के लक्षणों को एफएएसटी (फास्ट, आर्म, स्पीच व टाइम) से समझ सकते हैं। इसमें रोगी का चेहरा एक तरह से लटक जाता है, दोनों या कोई एक हाथ के सुन्न होने के साथ बोलने में दिक्कत होती है। ऐसे में उसे जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए।


बीमारी का इलाज क्या है?
रोग के लिए निर्धारित दवाएं चलती हैं। साथ ही ब्लड क्लॉट को पिघलाने वाली भी दवा देते हैं। मैकेनिकल थ्रॉम्बेक्टोमी प्रक्रिया के तहत आकार में बड़े ब्लड क्लॉट को तार या स्टेंट से बाहर निकालते हैं। सक्शन ट्यूब से क्लॉट खींचना नई तकनीक है।

– डॉ. अतुलाभ वाजपेयी, डायरेक्टर व कंसल्टेंट, न्यूरोसाइंस व इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट, उदयपुर

 

काम की जानकारी…

फाइबर फूड बचाता है दिल के दौरे से
ब्रिटेन के एक मेडिकल जर्नल में छपे शोध के अनुसार ऐसे रोगी जो दिल का दौरा आने के बाद जल्द रिकवरी चाहते हैं वे फाइबरयुक्त फूड (केला, सेब, गाजर, मूली, चोकर युक्त आटे की रोटी) खाएं। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की इस स्टडी के अनुसार यदि आहार में रेशे की मात्रा रोज 10 ग्राम बढ़ाई जाए तो मौत का खतरा 15 फीसदी तक घट जाता है।

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