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कई वजहों से होता है मोतियाबिंद, जानिए इसके बारे में

locationजयपुरPublished: Feb 01, 2018 05:19:53 am

कई बार लोगों को बीमारियां किसी खास वजह से न होकर बढ़ती उम्र व अन्य कारणों से भी होती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है मोतियाबिंद।

Cataract

कई बार लोगों को बीमारियां किसी खास वजह से न होकर बढ़ती उम्र व अन्य कारणों से भी होती हैं। ऐसी ही एक बीमारी है मोतियाबिंद। जानते हैं इसके बारे में।

क्या है यह समस्या
आंखों के लैंस की पारदर्शिता उम्र के अनुसार कम होने लगती है जिससे प्रकाश आंखों में जाने से अवरुद्ध हो जाता है और धुंधला दिखाई देने लगता है। शुरुआत में यह धुंधलापन काफी कम होता है लेकिन धीरे-धीरे तकलीफ बढऩे लगती है।

प्रमुख वजह
आमतौर पर मोतियाबिंद बढ़ती उम्र के कारण होता है लेकिन आंख में चोट, डायबिटीज, लंबे समय तक ली जाने वाली स्टेरॉइड्स या किसी प्रकार की आई सर्जरी से भी इस रोग की शिकायत हो सकती है।

ऑपरेशन कब
यदि आपको चश्मा लगाने के बाद भी कम दिखाई देने से रोजमर्रा के कामों में दिक्कत हो तो ऑपरेशन करा लेना चाहिए। लंबे समय तक उपचार न हो तो मोतियाबिंद के पककर फूटने की आशंका बढ़ जाती है जिससे कालापानी या अंधेपन की समस्या हो सकती है।

मरीज को मोतियाबिंद के अलावा यदि कोई आंख के पर्दे या नस संबंधी अन्य बीमारी हो तो कई मामलों में सफल ऑपरेशन के बाद भी रोशनी पूरी तरह से वापस नहीं आती। कुछ मरीजों को ऑपरेशन के बाद काले मच्छर (फ्लोटर्स) भी दिखाई दे सकते हैं जो समय के साथ धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। वहीं कुछ मरीजों में ऑपरेशन के कई सालों बाद लैंस के पीछे की झिल्ली मोटी हो जाती है जिससे हल्का धुंंधलापन आ सकता है। इस झिल्ली को लेजर किरणों से कुछ मिनट की प्रक्रिया द्वारा काटा जा सकता है।

आइड्रॉप से होगा इलाज
आंखों के लैंस क्रिस्टालीन प्रोटीन से बने होते हैं जो इसे साफ रखने और रोशनी को आंख के अंदर जाने में मदद करता है। ये प्रोटीन आंखों की सूक्ष्म कोशिकाओं को भी मजबूत करते हैं व पारदर्शिता की क्षमता बढ़ाते हैं। लेकिन इस रोग में प्रोटीन की एक हाइड्रोफोबिक परत बनती रहती है जिससे प्रोटीन के स्तर में गड़बड़ी आ जाती है।

इससे दिखने में परेशानी होने लगती है। वैज्ञानिक पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित शोध के अनुसार लेनोस्टेरोल आईड्रॉप को बिना ऑपरेशन के मोतियाबिंद के इलाज के लिए प्रभावी माना है। यह दवा क्रिस्टालीन प्रोटीन को जमने से रोकती व व्यक्ति की पारदर्शिता को बढ़ाती है। इस दवा का इंसानों पर प्रयोग बाकी है।

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