रोग और उपचार

आदतें बदलें, घुटने बदलवाने से बचेंगे

वर्ष 2014 में देश में लगभग 70 हजार लोगों ने घुटने और 6 हजार लोगों ने हिप रिप्लेसमेंट करवाए। इन अंगों का रिप्लेसमेंट उन लोगों के लिए …

Jul 27, 2018 / 04:51 am

मुकेश शर्मा

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वर्ष 2014 में देश में लगभग 70 हजार लोगों ने घुटने और 6 हजार लोगों ने हिप रिप्लेसमेंट करवाए। इन अंगों का रिप्लेसमेंट उन लोगों के लिए फैशन बनने लगा है जिन्हें दर्द बिल्कुल सहन नहीं होता और वे दर्द का फौरन इलाज चाहते हैं। ऐसे लोगों को सर्जन रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह देते हैं जिन्हें वे मान भी लेते हैं। चिंता की बात यह है कि 30-40 वर्ष के युवा घुटने और हिप रिप्लेसमेंट करवा रहे हैं जबकि वे इस समस्या से जीवनशैली और खानपान में बदलाव कर निजात पा सकते हैं।

जितना हो सर्जरी टालें

ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि किसी को आर्थराइटिस की गंभीर समस्या है तो घुटने रिप्लेसमेंट करवाना सही विकल्प है, लेकिन प्रारंभिक अवस्था में इसे कसरत और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं से आराम पाया जा सकता है। घुटनों व कूल्हों के दर्द का सबसे पहला उपचार है पेन किलर जो पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि ये घुटने का दर्द कम तो करते हैं लेकिन लिवर व किडनी को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यदि दवाएं लेने व कसरत के दौरान, चलते समय दर्द या पैरों में टेड़ापन महसूस हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

लाइफ स्टाइल बदलें

आमतौर पर २० वर्ष की आयु के बाद से घुटनों का घिसना व दोबारा बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन ४० साल के बाद हड्डी बनने की तुलना में घिसती ज्यादा है। खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है। विटामिन-डी, कैल्शियम और प्रोटीन युक्तचीजों को भोजन में शामिल करें। ३०-४० साल की उम्र के बाद आलती-पालती मारकर बैठना व सीढिय़ों पर उतरने-चढऩे की बजाय पैदल चलना ज्यादा उचित होता है।

सावधानी से चलें

चलने-फिरने में हम सावधानी बरतें तो दुर्घटना से बच सकते हैं तथा पैरों और घुटनों को भी फिट रख सकते हैं। 30 मिनट रेगुलर वॉक से मोटापे व डायबिटीज का खतरा घटता है। 65 किलो वजन का व्यक्ति 6.5 किमी प्रति घंटे की गति से चले या दौड़े तो एक घंटे में 362 कैलोरी बर्न कर सकता है।

वॉक करने से डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस, तनाव में भी लाभ होता है।

वॉकिंग नैचुरल कसरत है जो हृदय रोगों से बचाता है और हड्डियों को मजबूत कर मोटापे को घटाता है। इनके लिए जरूरी है कि आराम से व सही पोश्चर में चलें।

कुछ नियमों को भी मानें

चलते समय हमारी आंख, दिमाग और पैरों का संतुलन नहीं गड़बड़ाना चाहिए।
स्थिर कदमों से चलें। अपना सिर ऊंचा रखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। हाथों को 90 डिग्री पर झुकाकर आगे-पीछे हिलाएं।
सीढिय़ों पर चढ़ते समय किसी से आगे निकलना हो या क्रॉस करना हो तो दिशा बदल लें।
स्मूथ व साफ जगह पर भी दौडऩा हो तो पहले बॉडी वॉर्मअप जरूर करें।
फिसलन व उबड़-खाबड़ सडक़ पर न दौड़ें।
घुटने, एडिय़ों में दर्द या दुर्घटना का प्रमुख कारण है अनफिट व अनकंफर्टेबल शूज। ऊंची एड़ी वाले फूटवियर्स बॉडी का संतुलन खराब करने के साथ-साथ दबाव व तनाव भी पैदा करते हैं।
लूज कपड़े पहनकर दौडऩा भी ठीक नहीं होता है। इनसे गिरने का डर बना रहता है।
चलते समय किसी की नकल न करें। अपनी चाल से चलें और क्षमता अनुसार अपनी गति को बढ़ाते रहें।

डॉक्टरी सलाह लें

हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर के अनुसार डॉक्टरी सलाह से ली गईकॉलेजन पेप्टाइड सिरप व ग्लूकोसेमाइन दवा से घुटने को घिसने से रोका जा सकता है। इसके अलावा आयुर्वेद में प्रयोग की जा रही शलाकी और गुग्गल को भी एलोपैथी चिकित्सा में इस्तेमाल कर हड्डी के घिसने की तीव्रता को कम किया जा सकता है। इसके अलावा जरूरी व्यायाम से भी घुटने के प्रत्यारोपण से बचा जा सकता है।

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