जो व्यक्ति लंबे समय से मान सिक बीमारी , नशे की लत या ***** हनीय घटना से पीडि़त है उनके व्य वहार में परि वर्तन दिखे तो साव धान हो जाएं । उस का बार-बार कीट नाशक दवा इयों के बारे में पूछना , घर के सद स्यों से बात बंद कर देना , खाने से दूरी बनाना , निरा शाजनक बातें करने जैसे लक्षण दिखे तो उस पर नजर रखें । ऐसी स्थिति में आशं कित व्यक्ति से सका रात्मक संवाद करें ताकि गलत कदम को रोका जा सके ।
न्यूरोट्रांस मीटर जिम्मे दार
न्यूरो साइं टिस्ट क्राउले और बोरली ने मृत्यु के बाद दिमा ग में होने वाली रासा यनिक प्रक्रिया ओं का अध्ययन किया । उन्होंने पाया कि जिन्होंने आत्म हत्या की उनके मस्तिष्क में ५॥१्र्र व ५॥२्र्र नामक न्यूरोट्रांस मीटर की मात्रा सर्वा धिक थी। जबकि सामा न्य व्यक्ति के मस्ति ष्क में इस न्यूरोट् रांसमीटर की मात्रा न के बरा बर होती है । ये न्यूरोट्रांस मीटर निर्णय लेने की क्षम ता को खत्म कर नका रात्मक सोच को पैदा कर आत्म हत्या करने के लिए विवश कर देते हैं । ऐसे में इनके प्रति नरम स्व भाव रख कर सुसा इड के मामले रोके जा सकते हैं ।
आत्म हत्या का पूर्वा नुमान लगाना मुश्कि ल है लेकिन शोध के नतीजों के आधार पर इसके मामले कम किए जा सकते हैं ।
30 प्रति शत युवा ओं की मृत्यु का कारण आत्महत्या है ।
नशे की लत से ग्रसित
15-20 प्रति शत व्यक्तियों में आत्म हत्या की आशं का रहती है ।