क्या है गोल्डन आवर-
मरीज को दुर्घटना के एक घंटे के अंदर अगर हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया जाता है तो इससे घायल के बचने की संभावना ५० फीसदी तक बढ़ जाती है। इस समय को ही ‘गोल्डन आवर’ कहते हैं।
लक्षण और जांचें-
सिर, चेहरे, नाक या कान से खून बहना।
लगातार उल्टियां होना, मरीज का शारीरिक संतुलन बिगडऩा, बार-बार बेहोश होना और कुछ देर बाद फिर से होश में आना, आंख की पुतलियों का असामान्य होना इसके लक्षण हैं। कई बार मरीज को भ्रम हो जाता है या याद्दाश्त भी चली जाती है। ब्रेन इंजरी में चोट की सही स्थिति पता करने के लिए सीटी स्कैन या एमआरआई टैस्ट कराया जाता है।
3 प्रकार की ब्रेन इंजरी –
माइल्ड ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी: इसमें मरीज होश में होता है। इसके लक्षण चोट के समय ही दिखते हैं और मरीज जल्दी ठीक भी हो जाता है।
मॉडरेट ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी: इसमें मरीज 30 मिनट से अधिक तक बेहाश रहता है। बाहरी चोट कम होती है लेकिन अंदर अधिक चोट होने से इलाज ज्यादा दिनों तक चलता है।
सीरियस ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी: यह बेहोशी पैदा करती है जो 24 घंटे से अधिक समय तक रहती है। यह घातक होती है। इलाज लंबा चलता है। मरीज को एक्सट्रा केयर की जरूरत पड़ती है।
क्या है मुख्य कारण –
एक शोध में कहा गया है कि देश में ब्रेन इंजरी के ६० फीसदी मरीज केवल सड़क हादसों के होते हैं। इनमें भी मुख्य कारण शराब पीकर गाड़ी चलाना है। इसके अलावा सीट बेल्ट न बांधना, हेलमेट नहीं पहनना, टे्रफिक नियमों का पालन नहीं करना आदि। वहीं, 20 फीसदी मरीज छत या ऊंचाई से गिरने के होते हैं।
इनका रखें ध्यान-
ब्रेन इंजरी के मरीज को हिलाए-डुलाएं नहीं, देखें कि उसकी सांस सामान्य है या नहीं।
अगर मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही है तो उसे मुंह से कृत्रिम सांस दें।
मरीज को उल्टी हो रही है तो उसे सावधानीपूर्वक धीरे से एक करवट लेटा दें।
ब्लीडिंग वाली जगह को साफ कपड़े से कसकर बांधें ताकि खून का बहाव रुके।
जल्दबाजी न करें, मरीज के घाव को न दबाएं।
यदि सिर का घाव गहरा है तो धोएं नहीं।
घाव से चिपकी या उसमें घुसी किसी वस्तु को बाहर निकालने का प्रयास बिल्कुल न करें।
मरीज को तुरंत पास के हॉस्पिटल में ले जाएं।
इसलिए खतरनाक –
इसमें नर्वस सिस्टम डैमेज होने पर मरीज को लकवा हो सकता है।
चोट के कारण ब्रेन के अंदर भी नुकसान हो सकता है।
ब्रेन के अंदर ब्लीडिंग होने से ब्रेन हैमरेज का खतरा रहता है।
ब्रेन इंजरी होने पर मस्तिष्क के टिश्यू क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। सिर में चोट से कई बार मरीज की याद्दाश्त तक चली जाती है।
सही समय पर उचित इलाज न मिलने से मरीज की जान भी जा सकती है।
कई बार चोट अंदरूनी होती है जो बाहर से नहीं दिखती है। इसको गंभीरता से लें।