scriptजोड़ बदलवातेे समय डिजाइन देखकर न हों भ्रमित | Do not be confused by looking at the design while changing the Joint | Patrika News

जोड़ बदलवातेे समय डिजाइन देखकर न हों भ्रमित

locationजयपुरPublished: Jun 19, 2019 10:39:15 am

Submitted by:

Jitendra Rangey

एक्सपर्ट इंटरव्यू: प्रत्यारोपण से पहले एक बार अन्य सर्जन से सेकंड ओपिनियन जरूर लेंं। सर्जरी के बाद व्यक्ति साइक्लिंग, सीढिय़ां चढऩा-उतरना आदि कोई भी काम कर सकता है।

Joint implant

Joint implant

फायदों को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं
आमतौर पर जब लोग जोड़ प्रत्यारोपण कराने जाते हैं तो उन्हें अस्पतालों में मोटे-पतले, भारी हल्के जोड़ों के कई डिजाइन दिखाए जाते हैं व फायदों को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते हैं। इसके चलते लोग भ्रमित हो जाते हैं। वे सर्जरी के बेहतर परिणामों के लिए मोटी रकम खर्च करते हैं फिर भी संतोषजनक परिणाम नहीं मिलते। सफलता विशेषज्ञ की कुशलता पर निर्भर करती है जोड़ के डिजाइन पर नहीं। इसलिए इन बातों में न आएं। जोड़ चाहे किसी भी डिजाइन या धातु का बना हो, सफल प्रत्यारोपण के बाद 20 से 30 वर्षों तक बेहतर काम कर सकता है।
किन-किन जोड़ों का प्रत्यारोपण हो सकता है?
जोड़ प्रत्यारोपण सिर्फ घुटने व कूल्हों का ही होता है क्योंकि अब तक इनके परिणाम ही बेहतर पाए गए हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा मामले घुटनों के आते हैं।
इसकी नौबत क्यों और कब आती है?
प्रमुख वजह शारीरिक गतिविधियों का अभाव व खराब जीवनशैली है। शारीरिक सक्रियता की कमी के चलते यह समस्या ज्यादातर गृहिणियों को होती है। ऐसे में वजन बढऩा, घुटनों में दर्द, सूजन,जैसे लक्षण सामने आते हैं। कई बार ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को भी तकलीफ बढऩे पर घुटनों के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। लंबे समय तक समस्या टालने या सही इलाज न मिलने पर धीरे-धीरे जोड़ों के मूवमेंट में मददगार चिकना पदार्थ खत्म हो जाता है व हड्डियां टकराने लगती हैं। तब रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।
कैसे समझेंं, कब है जरूरत?
सामान्य कामकाज के लिए चलने-फिरने, उकड़ू व आलती-पालती मारकर बैठने आदि कामों में जोड़ों में असहनीय दर्द हो तो जोड़ों का एक्स-रे कराएं व विशेषज्ञ से संपर्क करके स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। ध्यान रहे विशेषज्ञ से रिप्लेसमेंट की सलाह मिलने के बाद भी एक बार अन्य सर्जन से सेकंड ओपिनियन जरूर लें क्योंकि कई बार तकलीफ के बावजूद दवाओं व व्यायाम से रिकवरी की गुंजाइश होती है।
नौबत आने पर किन बातों का खयाल रखना चाहिए?
सर्जन के पिछले रिकॉर्ड के बारे में अच्छे से जानकारी जुटाएं क्योंकि केस बिगडऩे से मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है और फिर से प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है। दोबारा रिप्लेसमेंट में जटिलताएं और खतरा पहले की तुलना में काफी हद तक बढ़ जाते हैं। इसके अलावा जिस अस्पताल में भी सर्जरी कराएं वहां आईसीयू सपोर्ट व बेहतर फिजिशियन होने जरूरी हैं ताकि संक्रमण आदि की स्थिति से निपटा जा सके।

सर्जरी के बाद फिट होने में कितना समय लगता है?
6-7 दिनों में मरीज का घुटना 90 डिग्री पर घूमने लगता है तब उसे अस्पताल से छ़ट्टी दे दी जाती है। 21 दिनों तक वॉकर से चलने की सलाह देते हैं। तीन माह बाद वह फिट हो जाता है।
सर्जरी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उकड़ू, आलती-पालती व जमीन पर बैठने से परहेज करना चाहिए। किसी तरह की परेशानी होने पर चिकित्सक को फौरन दिखाना चाहिए।

डॉ सी. एस. यादव, नी एंड हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो