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माइग्रेन से डरें नहीं, समझें और दें मात

locationजयपुरPublished: May 22, 2019 11:22:39 am

Submitted by:

Jitendra Rangey

माई का अर्थ है हेमी यानी आधा और ग्रेन का अर्थ है सिर। इस तरह से माइग्रेन का मतलब ही आधे सिर का दर्द है। यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है। हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता। लक्षणों की ठीक से जानकारी हासिल करने के बाद ही जाना जा सकता है कि यह माइग्रेन है या कुछ और।

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सिर से जबड़े तक दर्द
माइग्रेन के मुख्य लक्षण ये हैं- सिर का एक हिस्सा लगातार दुख रहा है। किसी भी तरह की रोशनी इस दर्द को बढ़ा देती है। मरीज उल्टी आने जैसा महसूस करता है। दर्द 4 से 72 घंटे तक रह सकता है। कभी-कभी यह 7 दिन तक रहता है। एक बार माइग्रेन होने के बाद मरीज एक हफ्ते से लेकर 2 महीनों तक आराम से रहता है। लेकिन इस बीच उसे गर्दन और कंधों में दर्द महसूस हो सकता है। सिरदर्द होने से पहले ही मरीज को आभास हो जाता है कि उसे भयंकर सिरदर्द होने वाला है। इस आभास को औरा कहते हैं। एक घंटा पहले औरा शुरू हो जाता है। ऐसा महसूस होता है कि सिर फट जाएगा। यह दर्द आधे सिर के अलावा माथे, जबड़े और आंख के नीचे भी होता है।
कैफीन व फास्ट फूड बढ़ाते परेशानी
माइग्रेन का अटैक पडऩे पर ब्रेन स्टेम अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं। इस कारण रसायन सेराटोनिन का स्त्राव होने से दिमाग के आसपास की रक्त वाहिनियों में सूजन बढ़ जाती है और दर्द होने लगता है। तनाव, अधिक डाइटिंग, रेड वाइन, कैफीन-चॉकलेट, अधिक सिट्रस फ्रूट (नींबू, संतरा और कीनू), खमीर उठे भोजन, पेस्ट्री, पिज्जा माइग्रेन के कारण हैं। इसके अलावा नींद में कमी, परफ्यूम, मानसिक और शारीरिक थकान, चकाचौंध करने वाली रोशनी या तेज आवाज और अधिक गुस्सा करने से भी माइग्रेन होता है। यह वंशानुगत बीमारी है। शिकागो में डायमंड हेडेक क्लीनिक के एसोसिएट प्रोफेसर मरली डायमंड के अनुसार अगर माता-पिता में से किसी एक को यह बीमारी है, तो बच्चों में 50 प्रतिशत और अगर दोनों को हो, तो उनके बच्चों को 75 प्रतिशत इस बीमारी के होने की आशंका रहती है।
ऐसे पाएं काबू
माइग्रेन लाइलाज है। लेकिन इस पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। कुछ दवाएं ऐसी हैं, जो अटैक की रोकथाम में इस्तेमाल में लाई जाती हैं। दमा की शिकार महिलाओं में यह समस्या बढ़ सकती है। ब्लड प्रेशर, दिल के मरीज, गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान करानेवाली महिलाओं को माइग्रेन के अटैक के दौरान दवाई खाते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए। डॉक्टरी सलाह के बिना दवा न लें। रिलेक्सेशन थैरेपी, लाइफस्टाइल में बदलाव और साइकोथैरेपी से काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
माइग्रेन के प्रकार
माइग्रेन दो प्रकार का होता है। पहला क्लासिकल और दूसरा कॉमन। क्लासिकल में मरीज को औरा होने के बाद सिर दर्द होता है। कॉमन में औरा नहीं होता सीधे सिरदर्द की समस्या होती है।
हार्मोनल चेंज है बड़ा कारण
लड़कियों की तुलना में लड़कों को माइग्रेन की समस्या अधिक होती है। किशोरावस्था में लड़कियों में एस्ट्रोजन हार्मोन्स के स्तर में उतार-चढ़ाव आता है जिसका संबंध माइग्रेन से हो सकता है।
महिलाओं में निम्न अवस्थाओं में माइग्रेन के अटैक पड़ते हैं-
मिनारकी
किशोरावस्था के दौरान जब महिलाओं में मासिकचक्र की शुरुआत होती है तब माइग्रेन होता है जिसे मिनारकी माइग्रेन कहते हैं।
मेंस्ट्रुअल माइग्रेन
माहवारी के समय जब महिलाओं में माइग्रेन होता है तो उसे मेंस्ट्रुअल माइग्रेन कहते हैं। इस अवस्था में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अचानक नीचे गिरता है।
हार्मोंस रिप्लेसमेंट थैरेपी
मेनोपॉज अवस्था के शुरू होते ही एस्ट्रोजन और प्रोगेस्ट्रोन जैसे जरूरी हार्मोन्स की कमी होने लगती है। इसके लिए ली जाने वाली हार्मोंस रिप्लेसमेंट थैरेपी (एचआरटी) लेने पर माइग्रेन की शिकायत हो सकती है। इसलिए डॉक्टरी सलाह से एचआरटी लें।
प्रेग्नेंसी में नहीं होती दिक्कत
अधिकतर महिलाओं में गर्भावस्था के चौथे से नवें माह तक एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिस वजह से इस दौरान उन्हें माइग्रेन नहीं होता। ऐसे में उन्हें लगता है कि माइग्रेन बिल्कुल ठीक हो गया लेकिन डिलीवरी के एक हफ्ते के अंदर ही उनमें एस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण दोबारा माइग्रेन हो जाता है।
सर्जिकल मेनोपॉज
गर्भाशय निकलवाने के बाद शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बनने बंद हो जाते हैं जिससे माइग्रेन के दौरे भी बढ़ जाते हैं। माइग्रेन से पीडि़त महिला को समझना चाहिए कि हार्मोंस में उतार-चढ़ाव सामान्य बात है।
डॉ. प्रसेनजीत, स्नायु रोग विशेषज्ञ

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