scriptरीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर लापरवाही न करें, वर्ना पड़ेगा बहुत भारी | Do not care negatively on spinal cord injury | Patrika News

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर लापरवाही न करें, वर्ना पड़ेगा बहुत भारी

locationजयपुरPublished: Feb 18, 2019 02:18:44 pm

एक मल्टीसेन्ट्रिक अंतरराष्ट्रीय जांच में पाया गया कि रीढ़ की हड्डी को 50 प्रतिशत नुकसान चोट लगने के कारण होता है जबकि 50 प्रतिशत कष्ट रोगी को गलत तरीके से अस्पताल ले जाने के कारण होते हैं। इसलिए प्राथमिक उपचार में देरी न करें।

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रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर लापरवाही न करें, वर्ना पड़ेगा बहुत भारी

आमतौर पर लोग रीढ़ की हड्डी की चोट को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन इसमें उतनी ही तत्परता बरतनी चाहिए जितनी दिल के दौरे के समय हम दिखाते हैं। जानते हैं इसके संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।

बार-बार जगह न बदलें : इस पूरी प्रक्रिया में मरीज को स्पाइन बोर्ड या मजबूत तख्त पर लिटाना चाहिए। बार-बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर न ले जाएं। एक मल्टीसेन्ट्रिक अंतरराष्ट्रीय जांच में पाया गया कि रीढ़ की हड्डी को 50 प्रतिशत नुकसान चोट लगने के कारण होता है जबकि 50 प्रतिशत कष्ट रोगी को गलत तरीके से अस्पताल ले जाने के कारण होते हैं। इसलिए प्राथमिक उपचार में देरी न करें।

आवश्यक जांचें : अस्पताल पहुंचने पर पल्स, ब्लड प्रेशर आदि जांचें कराएं। मरीज को इमेजिंग विभाग में ले जाकर पीठ व दिमाग का एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई कराएं। ऐसी चोट का इलाज सर्जरी से संभव है। सही इलाज से इससे जुड़ी परेशानियां जैसे लकवा मार जाना, कमजोरी आदि से भी बचा जा सकता है।

कीमती है समय : दुर्घटना में घायल व्यक्ति को गर्दन व पीठ में दर्द, कमजोरी, सुन्नता, पेशाब करने में तकलीफ, सिर में घाव या बेहोशी हो तो रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट हो सकती है। ऐसे में व्यक्ति को सावधानी से पांच या ज्यादा लोगों द्वारा उठाकर मजबूत तख्त पर लिटाना चाहिए। गले और पीठ में कोई हरकत न हो इसके लिए सर्वाइकल कॉलर का उपयोग करें और तुरंत स्पाइन केयर यूनिट वाले अस्पताल ले जाना चाहिए।

नर्व टिश्यू : सर्जरी के अलावा आजकल रिजेनेरटिव मेडिसिन का चलन बढ़ रहा है। इनमें ग्रोथ फैक्टर प्रोटीन एवं हॉर्मोन होते हैं जिनसे नर्व टिश्यू के पुन: निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इन रिजेनेरटिव ड्रग्स को दवाइयों के रूप में लिया जा सकता है। रिजेनेरटिव ड्रग्स का विकास मरीज के शरीर द्वारा भी संभव है। शरीर में पाया जाने वाला ‘अनटोलोगोस बोन मैरो कंसंट्रेशन’ या ‘प्लेटलेट युक्त प्लाज्मा’ को रिजेनेरटिव ड्रग्स के रूप में विकसित किया जा सकता है।

स्टेम सेल्स : इस प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए सर्जरी के दौरान उत्पन्न स्टेम सेल्स को टिश्यू कल्चर बैंक भेज दिया जाता है। लैब में नर्व ग्रोथ सेल्स के रूप में इसे विकसित किया जाता है जो बाद में मरीज के शरीर में इंजेक्ट कर दी जाती हैं।

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