रोग और उपचार

खांसी आए तो हल्के में न लें, जानें इसके बारे में

खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं होता, बल्कि यह शरीर की सामान्य प्रतिक्रिया अथवा किसी बीमारी का संकेत होती है। लेकिन ऐसा समझकर खांसी को मामूली रोग नहीं समझना चाहिए।

जयपुरSep 07, 2020 / 11:24 pm

विकास गुप्ता

Do not take lightly if you cough

आमतौर पर लोग खांसी को हल्के में लेते हैं। जबकि जानकार बताते हैं कि लगातार तीन हफ्ते या इससे ज्यादा चलने वाली खांसी टीबी का संकेत हो सकती है। इसके अलावा दमा या स्वाइन फ्लू के कारण भी खांसी हो सकती है। ऐसे में बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
चिकित्सकों का मानना है कि खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं होता, बल्कि यह शरीर की सामान्य प्रतिक्रिया अथवा किसी बीमारी का संकेत होती है। लेकिन ऐसा समझकर खांसी को मामूली रोग नहीं समझना चाहिए। आमतौर पर खांसी का कारण इंसान के फेफड़ों, सांस नली या गले में इंफेक्शन होता है। दरअसल, यह एक ऐसा मैकेनिज्म है, जो शरीर में होने वाली किसी खराबी के बारे में इशारा करता है और स्वास्थ्य-रक्षा के लिए पहले से ही संकेत दे देता है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि खांसी आने का मतलब है कि हमारा शरीर बीमारियों के बैक्टीरिया से लड़ रहा है।
खांसी की वजह कई-
डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़ों की नसों पर अधिक दबाव होने या दिल का एक हिस्सा बड़ा हो जाने पर भी खांसी हो जाती है। डॉक्टर इसे दिल का अस्थमा कहते हैं।
लगातार और लम्बे समय तक चलने वाली खांसी किसी बड़ी बीमारी का कारण या संकेत हो सकती है। आम तौर पर दमा, गले में इंफेक्शन, टॉन्सिलाइटिस, फेरनजाइटिस, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के इंफेक्शन, निमोनिया या हृदयरोग आदि की वजह से खांसी हो सकती है। लिहाजा खांसी को लेकर सतर्क रहना जरूरी है।
जानकार बताते हैं कि लगातार तीन हफ्ते या इससे ज्यादा चलने वाली खांसी टीबी का संकेत हो सकती है। इसके अलावा दमा या स्वाइन फ्लू के कारण भी खांसी हो सकती है। खांसी अगर लगातार ज्यादा दिनों तक हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
आयुर्वेद और खांसी-
आयुर्वेद में खांसी के उपचार के लिए सितोपलादि चूर्ण खास है। इसके अलावा अग्निरस चूर्ण की एक-एक गोली दिन में दो बार पानी से लेने या ज्वर भैरव चूर्ण आधा छोटा चम्मच दिन में दो बार पानी से लेने पर भी खांसी से राहत मिलेगी। बलगम वाली खांसी में महालक्ष्मीविलास रस की एक-एक गोली, कठफलादि चूर्ण या तालीसादि चूर्ण आधा-आधा चम्मच पानी से दो बार लेने, तुलसी, लौंग, अदरक, गिलोय व काली मिर्च को पानी में उबालकर इसमें शहद मिलाकर पीने से भी फायदा होता है।
होम्योपैथी में भी है इलाज-
सूखी खांसी हो तो ब्रायोनिया अलबम-30, स्पॉन्जिया-30, एकोनाइट-30, बैलाडोना-30 जैसी दवाइयां कारगर हैं। बलगम वाली खांसी में हीपरसेल्फ -30, एंटिमटार्ट-30, आईपीकॉक-30 व फॉस्फोरस-30 के सेवन से आराम मिलता है। जुकाम व बुखार के साथ होने वाली खांसी के लिए एलियम सीपा-30, फेरमफॉस-30, काली म्यूर-30 तथा बुजुर्गों में होने वाली काली खांसी के लिए ड्रॉसेरा-30, ट्यूबर कोलाइनम-30, नक्स वोमिका-30 व स्टिक्टा-30 की सलाह दी जाती है।
घरेलू उपचार असरकारी-
ज्यादा खांसी होने पर सेंधा नमक की छोटी-सी डली को आग पर रखकर गर्म कर लें और एक कटोरी पानी में तत्काल डाल दें। ऐसा पांच बार करके यह पानी पी लें, खांसी में आराम मिलेगा। इसके अलावा तुलसी, काली मिर्च व अदरक की चाय, आधा चम्मच अदरक के रस शहद में मिलाकर लेने, मुलैठी की छोटी सी डंडी चूसने, गर्म पानी के गरारे करने या गुनगुने दूध से गरारे करने पर भी खांसी ठीक होती है। रात को गर्म चाय या दूध के साथ आधा चम्मच हल्दी भी गुणकारी है।
परहेज भी है जरूरी-
खांसी में उपचार के साथ परहेज भी जरूरी है। तली-भुनी व खट्टी चीजें, सॉस, सिरका, अचार, अरबी, भिंडी, राजमा, उड़द की दाल, खट्टे फल और केला न लें। कोल्ड ड्रिंक, दही या फ्रिज में रखी कोई भी चीज ना खाएं। गुनगुना पानी पीएं।
एलोपैथिक दवाइयां-
कफ और कोल्ड से राहत के लिए ऐलोपैथी में क्लोरफेनिरामाइन, अमोनियम क्लोलाइड और सोडियम साइट्रेट या डाइफेनहाइड्रामाइन हाइड्रोक्लोराइड जैसी दवाइयां ठीक मानी जाती हैं। सूखी खांसी के लिए गुआइफेनेसिन और सल्बुटेमोल सल्फेट को उपयुक्तमाना जाता है। इन दवाइयों से निर्मित होने वाली कफ सिरप भी लाभकारी होती हैं। टेबुटलाइन सल्फेट और ब्रोमेहक्जाइन हाइड्रोक्लोराइड की सलाह भी चिकित्सक देते हैं।
नोट: किसी भी दवाई का सेवन डॉक्टर की देखरेख और परामर्श के बाद ही करें।

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